RKTV NEWS/ नयी दिल्ली,18 मार्च। एक्टिंग चीफ जस्टिस टी. अमरनाथ गौड़ और जस्टिस टी अरिंदम लोध की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 47, 165 और 166 (1) के अनिवार्य प्रावधानों का पालन करते हुए तलाशी ली गई है। अधिनियम की धारा 47 पुलिस अधिकारी को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए किसी स्थान की तलाशी लेने के लिए अधिकृत करती है, सीआरपीसी की धारा 165 विशेष रूप से पुलिस को बिना तलाशी वारंट की मांग के ऐसी तलाशी लेने का अधिकार देती है, बशर्ते कि वह आकस्मिक कारणों को दर्ज करे, जिसकी आवश्यकता है।इस आलोक में हाईकोर्ट ने पाया कि पुलिस को याचिकाकर्ता के घर की तलाशी लेने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने कहा, ”इसमें कोई संदेह नहीं है कि वकील को अपने मुवक्किल की रक्षा करनी होती है और मुवक्किल का हित वकील के लिए सर्वोपरि है। वे कानून से ऊपर नहीं हैं। वकील न्याय वितरण प्रणाली का हिस्सा हैं।” याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि बिना किसी वारंट के तलाशी ली गई। अदालत ने हालांकि कहा कि पुलिस के पास याचिकाकर्ताओं के घर में उपलब्ध आरोपी व्यक्ति के बारे में गुप्त सूचना थी। याचिकाकर्ताओं ने पहले विरोध किया और सर्च वारंट के बिना पुलिस कर्मियों के प्रवेश से इनकार किया था, लेकिन सीआरपीसी की धारा 47/165 और 166 के प्रावधानों को समझाने पर याचिकाकर्ताओं ने पुलिस को प्रवेश करने और तलाशी लेने की अनुमति दी थी।हाईकोर्ट ने आगे कहा कि यदि याचिकाकर्ता प्रतिवादियों की किसी भी कार्रवाई से व्यथित है तो उन्हें मामले में संज्ञान लेने के लिए सीआरपीसी की धारा 200 के तहत आवेदन दायर करके मजिस्ट्रेट से संपर्क करना चाहिए था। हालांकि, उन्होंने कोई एफआईआर या शिकायत दर्ज नहीं की और सीधे अपने रिट क्षेत्राधिकार का आह्वान किया।