आरा/भोजपुर (डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा)01 अगस्त। 31 जुलाई को एस बी कालेज आरा के हिंदी विभाग के तत्वावधान में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144 वीं जयंती बड़े धूमधाम से बनाई गई।मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए रांची विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो डा जंग बहादुर पाण्डेय ने कहा कि प्रेमचंद हिंदी साहित्य के एक ऐसे साहित्यकार का नाम है,जिनसे साक्षर व्यक्ति ही नहीं निरक्षर व्यक्ति भी भली भांति परिचित हैं।प्रेमचंद झोपड़ी के राजा थे, इसीलिए उनके साहित्य की पहुंच झोपड़ी से लेकर राजमहल तक थी।
उन्होंने कहा कि प्रेम चंद के साहित्य की सबसे बड़ी शक्ति जीवन के प्रति उनकी ईमानदारी और तटस्था है। जीवन का हर पक्ष उनकी कहानियों में दिखता है। प्रेमचंद के साहित्य में उदात्त मानवीय मूल्यों – सत्य, ईमानदारी ,प्रेम,तप, त्याग, सहिष्णुता, कर्तव्य परायणता,उदारता,परोपकारिता,देश भक्ति की प्रतिष्ठा हुई है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डा मृत्युंजय सिंह ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य हमारे समाज का दर्पण है।उनके साहित्य में तत्कालीन समाज का जीता जागता चित्र देख सकते हैं।
डा दिवाकर पाण्डेय ने कहा कि प्रेमचंद सामाजिक जीवन के कुशल शिल्पी हैं।
डा वज्रांग प्रताप केशरी ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां आदर्शोंन्मुख यथार्थवादी हैं ।
डा स्मिता जैन ने कहा कि प्रेम चंद बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। अध्यक्ष बलिराज ठाकुर ने कहा कि प्रेम चंद का साहित्य इंसानियत का साहित्य है।उसको पढ़कर सभी इंसान बन सकते है।इस अवसर पर कालेज के सभी शिक्षक शिक्षिकायें और विद्यार्थी उपस्थित रहे।आगत अतिथियों में विशेष रूप से डा राम जी राय,डा आनंद मोहन सिन्हा,डा कुमार शिव शंकर,डा किरण कुमारी,डा साधना रावत,डा कौशल्या शर्मा, आनंद कुमार (शोधार्थी) शुभम् कुमार,दीपक कुमार आदि उपस्थित रहे।इस अवसर पर दो सेवा निवृत होने वाले कर्मचारियों (भरत जी एवं सुबोध जी ) को प्राचार्या डा पूनम कुमारी ने शाल भेंट कर सम्मानित किया और उनके कार्यों की सराहना की। आगत अतिथियों का स्वागत कालेज की प्राचार्या प्रो पूनम कुमारी ने, गणेश वंदना डा पुष्पा द्विवेदी ने, सरस्वती वंदना आकांक्षा ओझा ने, संचालन डा सुदीप्ता शर्मा और प्रेमसागर पाण्डेय ने और धन्यवाद ज्ञापन डा चुनन कुमारी ने किया। राष्ट्र गान से समापन हुआ।