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मनन की व्याख्या कवि अरुण दिव्यांश की रचना में।

RKTV NEWS/अनिल सिंह,17अप्रैल।चिन्तन और मनन! देखा जाए तो सामान्य रूप से दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं, लेकिन किसी विषय पर विचार करना चिन्तन है और उस विचार में और अधिक गहरे उतर जाना, मनन है। चिन्तन में विचारों का प्रवाह लम्बा चलता है, मनन में एक ही विचार का मन्थन होता है। तो मनन मन्थन है। इसी मंथन अर्थात *मनन* को काव्य रूपी रचना में परिभाषित करती हैं कवि *अरुण दिव्यांश* की रचना मनन

         मनन
जीवन यह पावन हो जाएगा ,
मन का मन से तुम करो मनन ।
परिवार से निजदिल को जोड़ो ,
नहीं होगा स्वाभिमान का हनन ।।
जीवन का मनन करके तू देख ,
जीवन के मिलेंगे ये तीन परक ।
छोड़ा दृढ़ निश्चय पहचान संघर्ष ,
तो जीवन भी बन जाता नरक ।।
करो मनन एक बार जीवन का ,
हर जीवन तुम पावन पाओगे ।
जीवन कभी भी बुरा नहीं होता ,
बुरे कर्म कर तुम पछताओगे ।।
पावन जीवन को बेहतर बनाओ ,
हर जीवन को काम ही आएगा ।
हर मन मस्तिष्क में बस जाओगे ,
जीवन सुंदर रौनक दिखाएगा ।।

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