शिक्षा के मौलिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए सरकारी विद्यालयों की तरफ रखना होगा झुकाव:कन्हैया प्रसाद।
RKTV NEWS/अनिल सिंह,01 अप्रैल।भोजपुर के चर्चित समाजसेवी कन्हैया प्रसाद ने बिहार बोर्ड की मैट्रिक की परीक्षा में राज्य स्तर पर 1से 10 की मेधा सूची में भोजपुर जिले से 7 विद्यार्थियों के इस सूची में आने पर प्रसन्नता जाहिर की।इस विषय पर अपनी प्रसन्नता जाहिर करते हुए कन्हैया प्रसाद ने इस सूची में अपना नाम दर्ज करा भोजपुर की गरिमा को गौरवान्वित करने वाले विद्यार्थियों को उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए शुभकामनाएं दी।साथ ही उन्होंने सरकारी विद्यालयों की सराहना भी की जिन्होंने अपने विद्यालय की गरिमा का परिचय इन सफल विद्यार्थियों द्वारा राज्य स्तर पर सूची में नाम अंकित करवाने के रूप में प्रदर्शित की है। कन्हैया प्रसाद ने कहा की आज के परिवेश में जहां आम और खास लोग सरकारी विद्यालयों की बदहाली और विद्यालयों में शैक्षणिक माहौल का बेहतर न होना की संज्ञा दे इससे दूर हो रहे है और नाकारात्मक मानसिकता की सोच समाज में प्रदर्शित कर रहे है उस मानसिकता का खण्डन इन सफल विद्यार्थियों के सफलता के रूप में दिख रहा है जो सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई कर राज्य स्तर पर अपना ,अपने परिवार और जिले का नाम रौशन कर रहे है। उन्होंने मध्यम एवं उच्च वर्गीय परिवारों द्वारा सरकारी विद्यालयों की अनदेखी करना साथ ही सरकारी अधिकारियों ,सरकारी शिक्षकों के बच्चों का इन विद्यालयों में पढ़ाई के लिए नामांकन न कराकर निजी विद्यालयों में अपने बच्चो को पढ़ाने पर चिंता जाहिर करते हुए बताया की ये हमारे और समाज के लिये चिंता का विषय है। अनदेखी का परिमाण ये है की सरकारी तंत्रों द्वारा इस पर किया जा रहा व्यय का लाभ इनके लिए व्यर्थ साबित होता दिख रहा है,जिसका पूरा फायदा निजी विद्यालय को हो रहा है शिक्षा के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूली कर रहा है वो चाहे हर वर्ष लिए जा रहे नामांकन शुल्क या उनके द्वारा विभिन्न तरीकों से ली जाने वाली रकम। उन्होंने कहा की यदी हमे मौलिक अधिकारों का लाभ लेना होगा तो सरकारी विद्यालयों की तरफ झुकाव भी रखना पड़ेगा वरन आने वाले समय में इसका परिणाम भयावह हो सकता है। साथ ही उन्होंने सरकारी विद्यालयों की गरिमा और अस्तित्व के लिए सरकार से भी आग्रह किया की शिक्षक हमारे देश के बहुमूल्य नागरिक है और हमारे देश के होने वाले छात्रों के भविष्य निर्माता भी इसलिए इन्हे शिक्षा के अलावा सरकार की अन्य किसी योजना में शामिल न किया जाए अगर ऐसा होता रहा तो कही हमारे सरकारी विद्यालय का अस्तित्व और गरिमा धूमिल न हो जाये।