आरा/भोजपुर (डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा)02 अगस्त। गुरुवार को श्रावण समाराधना के क्रम में श्रीसनातन शक्तिपीठ संस्थानम् तथा सनातन-सुरसरि सेवा न्यास द्वारा सहदेवगिरि मंदिर कतीरा में आयोजित हुआ। सप्तदिवसीय श्रीशिव पुराण कथा के आज पांचवें दिन प्रवचन करते हुए आचार्य डॉ भारतभूषण महाराज ने कहा कि लोकपितामह श्रीब्रह्माजी के पुत्र मरीचि एवं उनके पुत्र का नाम कश्यप है। कश्यप जी महान तपस्वी और प्रजापति हैं।उनकी एक पत्नी जो दक्ष प्रजापति की पुत्री हैं का नाम दनु है जिनसे दानवों की उत्पत्ति हुई। उनके कई पुत्रों में एक का नाम विप्रचित्ति था जिसके पुत्र दंभ ने संतान की कामना से श्रीकृष्ण मंत्र का जप करते हुए कठोर तपस्या की। भगवान श्रीविष्णु की कृपा से उसे शंखचूड़ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका विवाह श्रीब्रह्माजी ने धर्मध्वज की तपस्विनी पुत्री तुलसी से करा दिया। आचार्य ने कहा कि यह शंखचूड़ पूर्वकाल में सुदामा नामक गोपाल था जिसे श्रीराधारानी ने दानव बनने का शाप दिया था। इसने अपनी तपस्या से प्राप्त शक्तियों का दुरूपयोग शुरू कर दिया जिससे लोक में भयंकर अशांति उत्पन्न हो गई। यह अपनी पत्नी तुलसी के सतीत्व और पातिव्रत्य के बल पर सुरक्षित हो देवताओं के लिए भी अजेय हो गया था। भगवान श्रीविष्णु ने छलपूर्वक तुलसी से भेंट की और भगवान शिव ने स्वयं तथा महाकाली आदि शक्तियों द्वारा दल-बल सहित इन असुर-अराजक तत्त्वों का विनाश किया। आचार्य ने कहा कि तमोगुणी शक्तियों संसार को अव्यवस्थित व असंतुलित कर देती हैं। उनके कारण सामान्य लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है।इनका नियंत्रण कर सामान्य प्राणियों के जीवन को आनन्दित करने वाले भगवान शिव हैं। इस अवसर पर प्रतिदिन प्रातः काल भगवान शिव पंचायतन की समर्चा और रुद्राभिषेक होता है और अपराह्न साढ़े तीन बजे से शिव पुराण की कथा होती है। कार्यक्रम की पूर्णाहुति 03 अगस्त को होगी।