डालूंगी नंद के लालन पे….
आरा/भोजपुर (अनिल सिंह) रंगों का यह पावन त्यौहार शास्त्रीय संगीत की सुरीली अनुगूंज से जीवंत हो उठा। शिवादी द्वारा आयोजित रास-रंग कार्यक्रम में आरा के शास्त्रीय प्रतिभाओं ने स्वर लय ताल से खूब रंग मचाया। संगीत की इस सुरीली सांझ में विदुषी विमला देवी ने मीराबाई की साहित्यिक होली को अपने सुरों ने पिरोकर कृष्ण और मीरा के भक्ति प्रेम को दर्शाया तो मानो पूरा वातावरण कृष्णमय हो उठा। वहीं युवा गायिका सुश्री नंदिता ने राग बागेश्री में विलंबित एकताल की बंदिश कवन गत भयी….. मध्य लय तीनताल की बंदिश बलमा मोरा तोरे संग लागली प्रीत …. द्रुत एकताल की बंदिश अपनी गरज पकड़ लीन्ही बैंया मोरी व होली कैसी ये होली मचाई कन्हाई प्रस्तुत कर अद्भुत समां बांधा। वहीं श्रेया पाण्डे ,अजीत पाण्डेय व श्वेता सिंह ने राग बसंत छेड़कर मंत्रमुग्ध कर दिया। राग बसंत में विलंबित एकताल की बंदिश आज ब्रज में फाग कुंवर श्याम संग खेलत…… तीनताल मध्य लय की बंदिश रंग ना डारो मोह पे रसिक सांवरिया, द्रुत एकताल की बंदिश आज सखी श्याम होली खेलन को आये व सिया राम की होली फागुन की बयार बहे सरयू किनार मची धूम देखो अवध महल में, सिया जी के संग में ना की प्रस्तुति ने अद्भुत छटा बिखेरी। वहीं कथक नृत्यांगना शालिनी महाराज व खुशी कुमारी गुप्ता ने पारंपरिक होली को कथक शैली में प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। वन्दिता ने सूफियाना अंदाज में होली प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी तो स्नेहा, गौरी, चित्रा, राशि व सौम्या जैन की भाव भंगिमाओं ने दर्शको को खासा प्रभावित किया। श्री बी एन राय ने पीलू राग में होली प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अन्त में कथक नृत्यांगना आदित्या ने रंग डालूंगी नंद के लालन पे…. पर बैठकी भाव के अंदाज में नृत्य ?प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तबले पर श्री शिवनंदन प्रसाद श्रीवास्तव ने संगत से बखूबी रंग भरा। मंच संचालन अमित कुमार व धन्यवाद ज्ञापन गुरु बक्शी विकास ने किया। इस अवसर पर डॉ. जया जैन, श्री कृष्णाजी, रंगकर्मी श्रीधर शर्मा , सुशील जी समेत कई गणमान्य उपस्थित थें।