RK TV News
खबरें
Breaking Newsकलामनोरंजनराष्ट्रीय

पारंपरिक,सांस्कृतिक गायिकी की धरोहर है गायिका मंगला सलोनी।

सुतल सैया के जगावे हो रामा कोयल तोहर बोलिया।

RKTV NEWS (अनिल सिंह) यूं तो कहा जाता है की आज की इस तेज रफ्तार से चल रही जिंदगी की धूल रुपी धुंध में हमारी परंपराएं और संस्कृति धूमिल प्रदर्शित हो रही है ये कहना गलत नही है लेकिन पूरी तरह सत्य भी नही है,इस कथन की पुष्टि वाराणसी में जन्मी मंगला सलोनी के पारंपरिक गायिकी से सत्य होता है।वाराणसी संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है। धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं, ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। ऐसी ही मिट्टी में जन्मी मंगला सलोनी जिन्होंने अपनी गायिकी से पारंपरिक भारतीय संस्कृति और शहर वाराणसी की गरिमा को बढ़ा रही है।बनारस की जन्मी मंगला सलोनी जिन्हे बनारस वासी वर्सेटाइल सिंगर मंगला सलोनी के नाम से संबोधित करते है। सलोनी ने देश के विभिन्न शहरों में अपनी गायकी की छाप छोड़ी है,इनके कार्यक्रम प्रमुख टीवी चैनलों,महुआ,अंजना,दबंग, जी,पर आते है साथ ही प्रतिदिन अंजन टीवी पर बाजे अनहद के नाम से इनके गाने आते है।इनके द्वारा गया पारंपरिक चैता गीत सूतल सैया के जगावे हो रामा कोयल तोहरि बोलिया काफी प्रसिद्ध है,इसे चईती कहते हैं, चईती कई प्रकार की होती है, शृंगारिक भी होती है, निर्गुण में भी होता है, इसे चैत के महीने में गाया जाता है, बसंत ऋतु से होली गाना प्रारंभ हो जाता है और होली के तुरंत बाद चैती भी गाई जाती है, बनारस में चैती की अपनी एक अलग ही प्रधानता है,होली के बाद चईती से समापन न हुआ तो गायकी अधूरी मानी जाती हैं,रसिक जन इसे बड़े ही आनंद के साथ श्रवण करते हैं, यह उप शास्त्री प्रधान गायकी है, चैती के गाने का एक अपना अंदाज है, हर गायक गायिका अपने तरीके से इसे निभाते हैं, गाते हैं, यह बिहार और उत्तर प्रदेश में ही गाया जाता है, वो भी बनारस की चैती का क्या कहना,चईता, चईती, चईती घाटों, चईता गौरी,,ये प्रकार है,और अलग, अलग धुन भी, चईता को पुरूष प्रधान गायकी मानी जाती हैं, इसे ताल दीपचंदी में शुरू कर कहरावा ताल से अन्त करते है, बनारस की चईती तो विश्व प्रसिद्ध है, और लोग दूर-दूर से इसे सीखने के लिए बनारस आते हैं, उन्होंने अपनी गुरु मां आदरणीय विदुषी सुचारिता गुप्ता जी का आभार प्रकट करते हुए कहा मुझे इस गायकी बारीकियों से अवगत कराया, सिखाया, जिसे मैं अपने अंदाज़ में आप सबके सामने रख पाती हूं, गा पाती हूं ये गुरु मां की कृपा है। सलोनी गति सबकुछ है लेकिन दादरा,होरी,चैती कजरी गाना इनको ज्यादा प्रिय है।इनके संगीत के प्रति रुझान ने पारंपरिक सांस्कृतिक गायकी की नीव को और मजबूती प्रदान की है जहां एक ओर नए नए गीतकार अपनी प्रसिद्धि के लिए अश्लिता के स्वरों का उद्घोष कर मुनाफा तो कमा रहे है लेकिन सांस्कृतिक और आने वाली पीढ़ी को दूषित भी कर रहे है।

Related posts

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एमएसएमई मेगा लोन मेला कार्यक्रम को किया संबोधित।

rktvnews

उपराष्ट्रपति 26 अप्रैल 2024 को तिरुपति और हैदराबाद का दौरा करेंगे।

rktvnews

चांदीनगर के वायुसेना स्टेशन में गरुड़ रेजिमेंटल प्रशिक्षण केंद्र पर मैरून बेरेट सेरेमोनियल परेड का आयोजन।

rktvnews

एनटीपीसी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अंतिम लाभांश के रूप में 30 प्रतिशत चुकता इक्विटी शेयर पूंजी का भुगतान किया।

rktvnews

भोजपुर:महत्मा बुद्ध की 2568 वी जयंती पर कार्यक्रम आयोजित।

rktvnews

Discover Tagsen: The Ultimate Game Changer in the Printing and Packaging Industry

Admin

Leave a Comment