RKTVNEWS/नयी दिल्ली,तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा किए जाने वाले रूट मार्च पर एकल न्यायाधीश द्वारा लगाई गई शर्तों को रद्द कर दिया था। आरएसएस ने एकल न्यायाधीश के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि एक एकल न्यायाधीश जानबूझकर अवज्ञा का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका में जुलूस की अनुमति देने वाले अपने पहले के आदेश को संशोधित नहीं कर सकता।एकल न्यायाधीश ने संगठन को निर्देश दिया कि जुलूस को ग्राउंड या स्टेडियम जैसे परिसरों में आयोजित किया जाए। अदालत ने प्रतिभागियों को यह भी निर्देश दिया कि वे कोई भी छड़ी, लाठी या हथियार न लाएं, जिससे किसी को चोट लग सकती हो। आरएसएस ने प्रस्तुत किया कि सार्वजनिक जुलूस बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने का स्वीकार्य तरीका है और राज्य का कर्तव्य है कि वह इसकी अनुमति दे। यह आगे प्रस्तुत किया गया कि आदेश अवमानना कार्यवाही में पारित किया गया, जबकि न्यायाधीश आदेश की सत्यता पर गौर नहीं कर सकते, लेकिन केवल यह देखना है कि अवमानना की गई है या नहीं।आरएसएस ने यह भी तर्क दिया कि फैसले में भी एकल न्यायाधीश ने कहा कि खुफिया रिपोर्टों पर गौर करने के बाद उन्हें उनमें कोई महत्वपूर्ण सामग्री नहीं मिली। फिर भी उन्होंने कार्यवाही के संचालन पर कुछ शर्तें लगाईं। संगठन ने तर्क दिया कि जनता की राय और प्रेस रिपोर्ट सबूत का चेहरा नहीं ले सकते। राज्य पुलिस ने कहा था कि अनुमति से इनकार करना खुफिया रिपोर्टों के आधार पर एक नीतिगत निर्णय है। इसने न्यायालय को सूचित किया था कि निर्णय संगठन के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।