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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत की।

RKTV NEWS/नई दिल्ली 15 नवंबर।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बिहार के जमुई में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत की तथा लगभग 6,640 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों का स्वागत किया, जो भारत के विभिन्न जिलों में जनजातीय दिवस समारोहों में भाग ले रहे हैं। उन्होंने उन असंख्य जनजातीय भाइयों और बहनों का भी स्वागत किया, जो पूरे भारत से इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप में शामिल हुए हैं। आज के दिन को बहुत पवित्र बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली के साथ-साथ गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती भी मनाई जा रही है तथा उन्होंने देशवासियों को इन त्योहारों की बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन देशवासियों के लिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि आज भगवान बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जा रही है। उन्होंने देशवासियों और विशेष रूप से जनजातीय भाइयों और बहनों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के जनजातीय गौरव दिवस से पहले जमुई में पिछले तीन दिनों से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने स्वच्छता अभियान के आयोजन के लिए प्रशासन, जमुई के नागरिकों और विशेष रूप से महिलाओं समेत विभिन्न हितधारकों को बधाई दी।
पिछले वर्ष जनजातीय गौरव दिवस पर धरती आबा बिरसा मुंडा के जन्म गांव उलिहातु में होने का स्मरण करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस वर्ष वे उस स्थान पर हैं, जिसने शहीद तिलका मांझी की वीरता देखी है। उन्होंने कहा कि यह अवसर और भी विशेष है, क्योंकि देश भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह समारोह आगामी वर्ष भी जारी रहेगा। प्रधानमंत्री ने बिहार के जमुई में आज के कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल हुए विभिन्न गांवों के एक करोड़ लोगों को भी बधाई दी। श्री मोदी ने कहा कि उन्हें आज बिरसा मुंडा के वंशज श्री बुधराम मुंडा और सिद्धू कान्हू के वंशज श्री मंडल मुर्मु का स्वागत करते हुए प्रसन्नता हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 6640 करोड़ रुपये से अधिक की लागत की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में जनजातियों के पक्के मकान के लिए लगभग 1.5 लाख स्वीकृति पत्र, जनजातीय बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए स्कूल और छात्रावास, जनजातीय महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं, जनजातीय क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़क परियोजनाएं, जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए जनजातीय संग्रहालय और शोध केंद्र आदि शामिल हैं। श्री मोदी ने कहा कि देव दीपावली के पावन अवसर पर जनजातियों के 11,000 आवासों में गृह प्रवेश कार्यक्रम हुए। उन्होंने इस अवसर पर सभी जनजातियों को बधाई दी।
जनजातीय गौरव दिवस के आज के आयोजन और जनजातीय गौरव वर्ष की शुरुआत पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि यह समारोह एक बड़े ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने का एक ईमानदार प्रयास है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के दौर में जनजातियों को समाज में वह मान्यता नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे। जनजातीय समाज के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनजातीय समाज ही था, जिसने राजकुमार राम को भगवान राम में बदल दिया और साथ ही भारत की संस्कृति और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सदियों तक लड़ाई का नेतृत्व किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद के दशकों में स्वार्थी राजनीति के कारण जनजातीय समाज के ऐसे महत्वपूर्ण योगदान को मिटाने का प्रयास किया गया। उलगुलान आंदोलन, कोल विद्रोह, संथाल विद्रोह, भील आंदोलन जैसे भारत की आजादी के लिए जनजातियों के विभिन्न योगदानों की जिक्र करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि जनजातियों का योगदान बहुत बड़ा है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत के विभिन्न जनजातीय नेता जैसे अल्लूरी सीतारमन राजू, तिलका मांझी, सिधू कान्हू, बुधू भगत, तेलंग खारिया, गोविंदा गुरु, तेलंगाना के रामजी गोंड, मध्य प्रदेश के बादल भोई, राजा शंकर शाह, कुवर रघुनाथ शाह, टंट्या भील, जात्रा भगत, लक्ष्मण नाइक, मिजोरम के रोपुइलियानी, राज मोहिनी देवी, रानी गाइदिन्ल्यू, कालीबाई, गोंडवाना की रानी, रानी दुर्गावती देवी और कई अन्य लोगों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि मानगढ़ नरसंहार को भुलाया नहीं जा सकता, जहां अंग्रेजों ने हजारों जनजातियों को मार डाला था।
श्री मोदी पर जोर दिया कि उनकी सरकार की मानसिकता, चाहे वह संस्कृति का क्षेत्र हो या सामाजिक न्याय का, अलग है। उन्होंने कहा कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को भारत की राष्ट्रपति चुनना उनका सौभाग्य था। उन्होंने कहा कि वह भारत की पहली जनजातीय राष्ट्रपति हैं और पीएम-जनमन योजना के तहत शुरू किए गए सभी कार्यों का श्रेय राष्ट्रपति को जाता है। विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सशक्तिकरण के लिए 24,000 करोड़ रुपये की पीएम जनमन योजना शुरू किए जाने को रेखांकित करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि इस योजना के तहत देश की सबसे पिछड़ी जनजातियों की बस्तियों का विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना को आज एक साल पूरा हो गया है और इस योजना के तहत पीवीटीजी को हजारों पक्के घर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पीवीटीजी बस्तियों के बीच संपर्क सुनिश्चित करने के लिए सड़क विकास परियोजनाएं प्रगति पर हैं और पीवीटीजी के कई घरों में हर घर जल योजना के तहत पीने का पानी सुनिश्चित किया गया है।
श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि वे उन लोगों की पूजा करते हैं, जिन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के रवैये के कारण जनजातीय समाज दशकों तक अवसंरचना से वंचित रहा। उन्होंने कहा कि देश के दर्जनों जनजातीय बहुल जिले विकास की गति में पिछड़ गए थे। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने सोच की प्रक्रिया को बदला और उन्हें ‘आकांक्षी जिले’ घोषित किया तथा उनके विकास के लिए कुशल अधिकारियों की तैनाती की। उन्हें खुशी है कि आज ऐसे कई आकांक्षी जिले विभिन्न विकासात्मक मापदंडों में कई विकसित जिलों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका लाभ आदिवासियों को मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आदिवासी कल्याण हमेशा से हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है।” उन्होंने कहा कि यह अटल जी की सरकार थी जिसने आदिवासी कार्य के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया। श्री मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बजटीय आवंटन 25,000 करोड़ रुपये से 5 गुना बढ़ाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। श्री मोदी ने कहा कि हाल ही में धरती आभा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) नामक एक विशेष योजना शुरू की गई है, जिससे 60,000 से अधिक आदिवासी गांवों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 80,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य आदिवासी गांवों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना, रोजगार के अवसर पैदा करना और आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षण देना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत आदिवासी विपणन केंद्र स्थापित किए जाएंगे, साथ ही होमस्टे बनाने के लिए प्रशिक्षण और सहायता भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इको-टूरिज्म की संभावना बनेगी, जिससे आदिवासियों का पलायन रुकेगा।
सरकार द्वारा आदिवासी विरासत को संरक्षित करने के लिए किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि कई आदिवासी कलाकारों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि रांची में भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर एक आदिवासी संग्रहालय शुरू किया गया है और उन्होंने सभी स्कूली बच्चों से इसे देखने और इसका अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि आज छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में बादल भोई के नाम पर एक जनजातीय संग्रहालय और जबलपुर, मध्य प्रदेश में राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के नाम पर एक जनजातीय संग्रहालय का उद्घाटन किया गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज श्रीनगर और सिक्किम में दो जनजातीय अनुसंधान केंद्रों का उद्घाटन किया गया और भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण किया गया। श्री मोदी ने कहा कि ये सभी प्रयास भारत के लोगों को जनजातियों की बहादुरी और सम्मान के बारे में लगातार याद दिलाते रहेंगे।
भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति में आदिवासी समाज के महान योगदान पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस विरासत को संरक्षित करने के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लिए नए आयाम भी जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने लेह में राष्ट्रीय सोवा-रिग्पा संस्थान की स्थापना की है, अरुणाचल प्रदेश में पूर्वोत्तर आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान को उन्नत किया है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र की स्थापना भी कर रही है, जो दुनिया भर में आदिवासियों की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
श्री मोदी ने कहा, “हमारी सरकार का ध्यान आदिवासी समाज की शिक्षा, आय और चिकित्सा पर है।” उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि आदिवासी बच्चे चिकित्सा, इंजीनियरिंग, सशस्त्र बलों या विमानन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पिछले एक दशक में आदिवासी क्षेत्रों में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक बेहतर संभावनाओं के निर्माण का परिणाम है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि उनकी सरकार ने पिछले एक दशक में 2 नए आदिवासी विश्वविद्यालय जोड़े हैं, जबकि आजादी के बाद के छह दशकों में केवल एक केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय था। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के साथ-साथ कई डिग्री और इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू किए गए हैं। श्री मोदी ने यह भी कहा कि पिछले दशक में आदिवासी क्षेत्रों में 30 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं और बिहार के जमुई समेत कई नए मेडिकल कॉलेजों में काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि देश भर में 7000 एकलव्य स्कूलों का एक मजबूत नेटवर्क भी विकसित किया जा रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि चिकित्सा, इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा में आदिवासी छात्रों के लिए भाषा एक बाधा रही है, इसे देखते हुए सरकार ने मातृभाषा में परीक्षा देने का विकल्प प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि इन फैसलों से आदिवासी छात्रों को एक नई उम्मीद मिली है।
पिछले दशक में अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में पदक जीतने में आदिवासी युवाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में खेल अवसंरचना को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में खेलो इंडिया अभियान के तहत आधुनिक खेल के मैदान, खेल परिसर विकसित किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का पहला राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय मणिपुर में शुरू किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी बांस से जुड़े कानून बहुत सख्त थे, जिससे आदिवासी समाज को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने बांस की खेती से जुड़े कानूनों को आसान बनाया है। श्री मोदी ने कहा कि करीब 90 वन उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाया गया है, जबकि पहले 8-10 वन उत्पाद ही इसके दायरे में आते थे। उन्होंने कहा कि आज भारत में 4,000 से अधिक वन धन केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिससे करीब 12 लाख आदिवासी किसानों को मदद मिल रही है।
श्री मोदी ने कहा, “लखपति दीदी योजना की शुरुआत से अब तक करीब 20 लाख आदिवासी महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं।” उन्होंने कहा कि टोकरियाँ, खिलौने और हस्तशिल्प के आदिवासी उत्पादों के लिए प्रमुख शहरों में आदिवासी हाट स्थापित किए जा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि आदिवासी हस्तशिल्प उत्पादों के लिए इंटरनेट पर एक वैश्विक बाज़ार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया है कि जब वे अंतरराष्ट्रीय राजनेताओं और गणमान्य व्यक्तियों से मिलें, तो उन्हें सोहराई पेंटिंग, वारली पेंटिंग, गोंड पेंटिंग जैसे आदिवासी उत्पाद और कलाकृतियाँ उपहारस्वरूप दी जाएँ।
श्री मोदी ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया आदिवासी समुदायों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मिशन शुरू किया है। उन्होंने कहा कि मिशन के एक साल में 4.5 करोड़ आदिवासियों की जांच की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर विकसित किए गए हैं, ताकि आदिवासियों को जांच के लिए दूर न जाना पड़े। उन्होंने कहा कि दुर्गम आदिवासी क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल यूनिट स्थापित किये गए हैं।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में दुनिया में भारत की प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह आदिवासी समाज द्वारा सिखाए गए मूल्यों के कारण संभव हुआ है, जो हमारे विचारों का मूल है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का सम्मान करता है। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बिरसा मुंडा जनजातीय उपवन बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उपवनों में 500 हजार पेड़ लगाए जाएंगे।
अपने संबोधन का समापन करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हमें बड़े संकल्प लेने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे आदिवासी विचारों को नए भारत के निर्माण का आधार बनाएं, आदिवासी विरासत को संरक्षित करें, आदिवासी समाज द्वारा सदियों से संरक्षित की गई चीजों को जानें, ताकि एक मजबूत, समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण सुनिश्चित किया जा सके।
इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम, केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी, केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान, केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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