RKTV NEWS/प्रयागराज,18 मार्च।इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शुक्रवार को अदालत के दिसंबर 2022 के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा जारी हड़ताल पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस विनोद दिवाकर की पीठ ने कर्मचारी एसोसिएशन और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही जारी करते हुए कहा कि भले ही श्रमिकों द्वारा उठाई गई मांगों में कोई दम हो, फिर भी पूरे राज्य की बिजली आपूर्ति में बाधित नहीं होनी चाहिए।इसके साथ ही मामले की तात्कालिकता को देखते हुए, उच्च न्यायालय ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (वीकेएसएसएस) के पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया, जिसमें 20 मार्च को सुबह 10 बजे अदालत में उपस्थित होने की आवश्यकता है।
वारंट जारी किए गए क्योंकि अदालत ने पाया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ के माध्यम से संयुक्त संघर्ष समिति को नोटिस दिए जाने के बावजूद, याचिका में उनकी ओर से किसी ने भी उपस्थिति दर्ज नहीं की थी। बता दें, राज्य के 27 लाख बिजली कर्मचारी 16 मार्च की रात तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए थे, जिसके कारण पूरे राज्य में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई थी। अदालत को स्थिति से अवगत कराया गया कि हड़तालें अदालत के 6 दिसंबर, 2022 के उस आदेश का उल्लंघन हैं जिसमें कहा गया था कि बिजली आपूर्ति बाधित नहीं की जानी चाहिए।
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