आरा/भोजपुर ( डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा)23 अगस्त। गुरुवार को जिला अधिकारी भोजपुर ने कहा कि मुख्यमंत्री, बिहार के मार्गदर्शन में क्रियान्यवयन जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण राज्य सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना है। पेड़ों की महत्ता के मद्देनजर पूर्व से भी मनरेगा के तहत विगत कई वर्षों से वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष, 2024-25 में भोजपुर जिलान्तर्गत 497200 पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है। ज्ञातव्य है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्ष 2024 में पूरे प्रदेश ने भीषण गर्मी की मार झेली है। पेड़-पौधे हमें भोजन, औषधि, छांव आदि के साथ-साथ सबसे उपयोगी प्राणदायी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। साथ ही ये जलवायु को नियंत्रित करने, मिट्टी के कटाव को रोकने और जैव विविधता की रक्षा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अधिक वृक्ष लगाने से पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद मिलेगी और पर्यावरण को ग्लोबल वार्मिंग के हानिकारक प्रभावों से बचाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए वृक्ष और जंगलों को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए काम करें। मनरेगा के तहत क्रियान्वित वृक्षारोपण की योजना से जहाँ एक तरफ पारिस्थितिकी संतुलन में सहायता मिलती है, वहीं दूसरी तरफ इससे गरीब परिवारों को भविष्य में फल अथवा ईमारती लकड़ियों के माध्यम से आर्थिक रूप से इन्हें सशक्त बनाने में भी सहायक सिद्ध होती है। इस योजना के तहत मनरेगा में मजदूरी के लिए इच्छुक व्यक्तियों को पौधों की देख-रेख हेतु 05 वर्षों के लिए मजदूरी का भुगतान किया जाता है। जिला अधिकारी ने कहा कि मनरेगा अंतर्गत वृक्षारोपण की योजनाओं के गुणवत्तापूर्ण अनुश्रवण तथा वनपोषकों को पौधों की उत्तरजीविता के अनुरूप मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करने हेतु निरंतर विभागीय निदेश प्राप्त होते रहते हैं। वर्तमान में अधोहस्ताक्षरी को आम जनता / जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रायः ऐसी शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि मनरेगा के कतिपय पदाधिकारी/कर्मी स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मिलीभगत कर अयोग्य लाभुकों का चयन कर उन्हें व्यक्तिगत लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से अथवा गलत मंशा के साथ पौधारोपण की योजनाएँ क्रियान्वित कर रहे हैं। लाभुक पौधों की उत्तरजीविता के प्रति सजग न रहते हुए कटीले तारों से fencing कराने में ज्यादा रूचि रख रहे हैं। निम्न गुणवत्ता वाले पौधे, मानक से संख्या में कम पौधे का रोपण, अयोग्य लाभुकों, जिनको पौधों के उत्तरजीविता में रूचि नहीं रहती आदि कई गंभीर विसंगतियाँ दृष्टिगत हो रही हैं।
परिणामस्वरूप पौधों की उत्तरजीविता प्रभावित होती है। यह कृत्य मनरेगा के पदाधिकारी/कर्मियों / जनप्रतिनिधियों के पदेन जिम्मेदारियों के सर्वथा विरुद्ध है। इसके लिए संबंधित स्थानीय जनप्रतिनिधि/पदाधिकारी/कर्मी कठोरतम कार्रवाई के पात्र हैं। कतिपय पदाधिकारी / कर्मियों की लापरवाही के कारण सरकारी राशि का दुरूपयोग हो रहा है। साथ ही जल-जीवन-हरियाली अभियान के मूल उद्देश्यपूर्ति भी प्रभावित होती है। इसके लिए कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।