पटना/बिहार(रवि शेखर प्रकाश )15 मार्च।दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ ,तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नही है,सिवाये अपनी जंजीरों के ये शब्द कार्ल मार्क्स के है ।मार्च का महीना कार्ल मार्क्स का परिनिर्वाण दिवस है ।दुनिया के मेहनतकशो की मुक्ति के दार्शनिक विचारक ,महान नेता,अर्थ शास्त्री ,इतिहासकार ,समाज शास्त्री ,राजनीतिक सिधांतकार ,पत्रकार और वैज्ञानिक ,समाजवाद के प्रणेता कार्ल हेनरिख मार्क्स का जन्म 05 मई 1818 को ट्रियर,जर्मनी में एक यहूदी परिवार में हुआ और उनकी मृत्यु 14 मार्च ,1883 को लंदन में हुई थी ।1824 में इनके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार किया ।”श्रमिक वर्ग के प्रत्येक सद्स्य को रूसो के “कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो”,पोप लियो तेरहवें के “एन साईक्लिक्ल ऑन द कंडीशनस ऑफ़ लेबर और जॉन स्टुअर्ट मिल के “लिबर्टी से परिचित होना चाहिये ।ये चार उन ग्रंथो मे से है जो आधुनिक दुनिया के समाज़। और शासन व्यवस्था के संगठन के मूल कार्यक्रम से संबंधित है।
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