नहरों के अंतिम छोर तक पानी दे सरकार:सांसद, सुदामा प्रसाद
RKTV NEWS/आरा (भोजपुर)17 जनवरी।अखिल भारतीय किसान महासभा भोजपुर इकाई की ओर से सिंचाई संसाधनों का जीर्णोद्धार व नए का निर्माण,सिंचाई हेतु मुफ्त बिजली,बाढ़-सुखाड़ का स्थाई निदान,एमएसपी की कानूनी गारंटी,खाद्य सुरक्षा,कर्ज मुक्ति,कृषि मंडियों की पुनर्बहाली,भूमि सर्वे पर रोक लगाने,कृषि भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने,2013 के कानून के मुताबिक मुआवजा, एनपीएफएएम प्रस्ताव को वापस लो आदि मांगों को लेकर सोन नहर प्रमंडलीय प्रक्षेत्र सिंचाई कार्यालय के समक्ष के एकदिवसीय धरना आयोजित किया!धरना की अध्यक्षता किसान नेता कमलेश भट्ट व संचालन किसान नेता विनोद कुशवाहा ने किया!
धरना को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व आरा सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि हम किसान अब तक के इतिहास में सबसे संकट के दौर से गुजर रहे हैं!जब राज सत्ता ही हमारी खेती-खेत व फसल को कारपोरेट के पक्ष में हमसे छीन लेना चाह रही है!पहले हमारी खेती में मिलने वाली सभी सुविधाओं को समाप्त कर उसे घाटे का कार्य बना दिया,फिर कानून के सहारे खेत-खेती फसल पर कारपोरेट का कब्जा दिला देना चाहती है!पुनःकेंद्र सरकार *कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति* के प्रस्ताव (एन पी एफ ए एम) के जरिए तीनों काले कृषि कानूनों को चोर दरवाजे से राज्यों के माध्यम से लागू कराने कि कोशिश कर रही है। जिसका विरोध देश भर के किसान व उनके संगठन शुरू कर दिया है!
उन्होंने आगे कहा कि हम,सी-2+50% के साथ एम एसएसपी की कानूनी गारंटी,खाद्य सुरक्षा,संपूर्ण कर्ज माफी, कृषि मंडियों की पुनर्बहाली,सिंचाई हेतु मुफ्त बिजली,सिंचाई संसाधनों का जीर्णोद्धार व नए का निर्माण,बाढ़-सुखाड़ का स्थाई प्रबंध,आदि मांगों पर लगातार आंदोलनरत है!इसके अतिरिक्त सरकारी गैर सरकारी विकास योजनाओं के नाम पर कृषि भूमि की लुट के खिलाफ व 2013 के कानून के मुताबिक समुचित मुआवजा के लिए,भूमि सर्वे के नाम पर किसानो की जमीन की जमाबंदी रद्द कर उसे सरकारी घोषित करते हुए कारपोरेट के लिए लैंड बैंक बनाने की सरकारी कोशिशों के खिलाफ भी हम लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं!
धरना को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह कि सिंचाई के बिना खेती की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती है!आज के आधुनिक समय में भी हमारी खेती प्रकृति पर पूर्णतःनिर्भर है!अतीत में बिहार में जो भी सिंचाई संसाधन थे,वे सभी सरकारी उदासीनता के कारण मृत प्राय हो चुके हैं!सभी सरकारी नलकूप बंद पड़े है।डीजल और बिजली काफी महंगी है!सोन, गंडक,कोसी व उत्तर कोयल की नहरें भी अपनी आखिरी सांसे ले रही हैं!
धरना को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय पार्षद राजू यादव ने कहा कि गत बीस वर्षों से नीतीश बाबू बिहार की सत्ता पर कायम हैं।इन्होंने भी कृषि विकास की लंबी चौरी बातें कर अब तक चार कृषि रोड मैप जारी कर चुके हैं,लेकिन सिंचाई के मामले में इनका रोड मैप टांय टांय फिस साबित हो चुके हैं!सत्ता में आते ही नीतीश बाबू ने अपना किसान व कृषि विरोधी चरित्र को दिखाते हुए बिहार में एपीएमसी एक्ट को समाप्त कर कृषि मंडियों को बंद कर दिए थे और हम किसानों को मुनाफाखोर व्यापारियों के आगोश में धकेल दिया था! तब से आज तक एपीएमसी एक्ट की पुनर्बहाली व कृषि मंडियों को चालू करने के लिए आवाज उठा रहे हैं लेकिन ये कान में तेल डाल कर सोए हैं और अपने को किसानों की हिमायती बताने में नहीं चूकते हैं!
बंद पड़े सरकारी नलकूपों को चालू करने,सोन, गंडक, कोसी व उत्तर कोयल नहरों का आधुनिकीकरण कर उसके अंतिम छोड़ तक पानी पहुंचाने,कई जिलों में छोटे छोटे नदियों को जोड़कर सिंचाई का प्रबंध करने जैसे कार्य सरकार की कार्य सूची से ही गायब है!
उल्टे हमारी खेतों को सरकारी गैर सरकारी विकास योजनाओं के नाम पर नष्ट व लुट की जा रही है और हमें 2013 के कानून के मुताबिक समुचित मुआवजा देने के बजाय 2013 के कृषि भूमि अधिग्रहण कानून की धज्जियां उड़ाते हुए पंद्रह से बीस वर्ष पुराने सर्किल रेट से मुआवजा दिया जा रहा है!कृषि भूमि का इस तरह नष्ट होते जाना देश व राज्य को खाद्यान्न संकट में धकेलना है!दूसरी ओर सरकार भूमि सर्वे करा कर हमारी रैयती,सरकार से ही प्राप्त गरीबों की जमीनों,व भूदान की जमीनों को भी जमाबंदी खारिज करते हुए बिहार सरकार की जमीन घोषित करते हुए, लैंड बैंक बनते हुए,कारपोरेट को देने की कोशिश की जा रही है!इसे कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा!धरना के अंत में सिंचाई विभाग के अभियंता को मुख्यमंत्री के नाम स्मार-पत्र सौंपा गया!
धरना में दुदुन सिंह मुखिया,रामकिशोर राय,अश्विनी सिंह,अभय सिंह,भोला यादव,रामबाबू यादव,विनोद सिंह,हरेराम सिंह,शिवमंगल यादव,संजय सिंह,दिलराज प्रीतम,विशाल कुमार,विजय यादव मुखिया,ललन यादव,रामबाबू चंद्रवंशी,कुणाल सिंह,उदय आनंद,श्रीराम सिंह,रजनीश सिंह,रणधीर कुमार राणा, कलावती देवी आदि सैकड़ों किसान शामिल थे।