RKTV NEWS/अनिल सिंह,08 अप्रैल। बिहार के भोजपुर जिले के फरना गाँव मे है देवी माता का ऐतिहासिक मंदिर और बताया जाता है की इस मंदिर का संबंध त्रेता युग में भगवान श्री राम से है।
इस मंदिर को जगतमाता काली भवन या काली मंदिर फरना या फिर जगतमाता धाम फरना के नाम से भी जाना जाता हैं।यह मंदिर बिहार के भोजपुर जिले के आरा रेलवे जंक्शन से 10 किलोमीटर उत्तर मुख्य मार्ग पे बसे फरना ग्राम में अवस्थित हैं।
जनश्रुतियों एवं स्थानीय मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग मे भगवान श्री राम और लक्षमण,गुरु विश्वामित्र के साथ बक्सर में ताड़का का वध करके इसी आरा-छपरा मार्ग से शिव धनुष उठाने व सीता स्वयंवर के लिए बक्सर(बिहार) से जनकपुर(वर्तमान नेपाल) गये थे।बक्सर से जाने के इस क्रम में जब गुरु विश्वामित्र को इस बात की जानकारी प्राप्त हुई कि श्री राम को जनकपुर में महान शिव धनुष उठाना है तो उन्होंने इस निम्मित श्री राम को सबसे पहले भगवान शिव के सिद्ध रूप का एवं माँ काली के नवों रूपो का जगतमाता के रूप में आराधना करने एवं उनसे अपने इस कार्य सिद्धि के लिये आशीर्वाद मांगने को कहा।तत्पश्चात श्री राम ने वैसा ही किया और जहाँ श्री राम ने शिव के सिद्ध रूप की पूजा की वह स्थान आज सिद्धनाथ मंदिर(आरा,भोजपुर) एवं जहाँ माता के नवों रूपो की पूजा की वह स्थान जगतमाता मंदिर(फरना,भोजपुर) के नाम से विख्यात हुआ।चूंकि श्रीराम द्वारा इस जगतमाता की आराधना करके जाने के बाद वे महान शिव धनुष उठाने में सफल हुये इसलिए इस देवी माँ को मनोकामना माता या मनोकामना सिद्धि पूर्ति धाम के नाम से भी जाना जाने लगा।तब से यहां सच्ची श्रद्धा से आनेवाले हरेक श्रद्धालुओं की सम्पूर्ण इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
वर्तमान में उसी स्थान पे माँ जगतमाता का भव्य मंदिर करोड़ो रुपये की लागत से बनकर तैयार हैं।इस मंदिर की कई वास्तु विशेषताएं भी हैं।मंदिर की वर्तमान वास्तु विशेषताओं की जानकारी देते हुए अजित कुमार पाण्डेय ने बताया कि यह मंदिर नागर ,वेसर एवं आधुनिक शैली के अनूठा मिश्रण का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता हैं। जिसके लिए मध्य एवं दक्षिण भारतीय वास्तु कलाकारों ने लगातार कई वर्षो तक कार्य करके अपनी कला को मंदिर में प्रदर्शित किया है।मंदिर की मुख्य विशेषताओं में इसकी 111 फीट की अद्भुत ऊँचाई,17 फीट की लंबाई एवं 11 फीट की चौड़ाई, भव्य कलाकृति युक्त सिंहासन,बेसर शैली में निर्मित नक्काशी किया हुआ लगभग 5 फीट ऊँचा अतुलनीय तुलसी चबूतरा,शुद्ध चंदन की लकड़ी का बना काशिदि किया हुआ 56 वर्ग फीट का विशाल दरवाजा,राजस्थान के मकराना के शुद्ध मार्बल से बना गगनचुंबी गुम्बद,ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित जगतमाता का पिंड आदि।मंदिर के गर्भगृह की ऊँचाई 111 फीट हैं जोकि अंदर से पूर्णतः खुले हुये गुम्बद के आकार का बना हैं। अभी तक ज्ञात जानकारी के अनुसार बिहार का यह दूसरा सबसे ऊँचा देवी माँ का मंदिर हैं।साथ ही अजित कुमार पाण्डेय जी ने बताया कि देवी माता के नवों पिंडो का दर्शन शायद ही कहीं कहीं दुर्लभ रूप में होता हैं।इस सम्पूर्ण क्षेत्र में इस देवी माता को बुढ़िया माई या फिर फरना वाली काली माई के नाम से भी जाना जाता हैं।
मंदिर निर्माण से लेकर वर्तमान में उसकी रख-रखाव एवं अन्य व्यवस्था स्थापित करने में फरना ग्रामवासियों का अमूल्य योगदान हैं ।मंदिर के मुख्य पुजारी प्रेमदास बाबा जी है जोकि मूलतः अयोध्या के निवासी हैं।।प्रति वर्ष सभी नवरात्रि में यहाँ देवी माँ के दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं विशाल भण्डारा का आयोजन किया जाता हैं।मंदिर का तृतीय जीर्णोद्धार वर्ष 2022 में हुआ एवं उस तिथि को जगतमाता महोत्सव के नाम से भव्य सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं।प्रतिदिन यहां हजारो श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है और विशेषकर चैत्र एवं शारदीय नवरात्र के समय लाखो की संख्या में श्रद्धालु अपनी श्रद्धा भाव से माता के दर्शन के लिए आते हैं।