RKTV NEWS/अनिल सिंह,27 मार्च।आस्था का पर्व कहे जाने वाले छठ महा पर्व जो कार्तिक मास में मनाए जाने वाले छठ व्रत के रूप में पहले से देश विदेश में प्रचलित है।साल में दो बार एककार्तिक दूसरा चैत मास में पड़ने वाले छठ पूजा के प्रति भी लोगो की आस्था व्यापक रूप लेती नजर आ रही है।कुछ वर्षों पूर्व तक चैती छठ पर्व को करने वाले लोगो की संख्या काफी कम थी लेकिन आस्था के इस महा पर्व के प्रति लोगो की आस्था जिले के घाटों पर देखने को मिली।चैती छठ का आज तीसरा दिन है।चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है. आज के दिन महापर्व छठ में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया।एक बार हिन्दी नववर्ष की शुरुआत और दूसरी बार कार्तिक मास में मनाया जाता है. कार्तिक माह वाला छठ दीपावली के 6 दिन बाद मनाया जाता है जबकि चैती छठ चैत नवरात्रि के दौरान। आज की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाओं ने अर्घ्य दिया।छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठ पर्व में यह दिन बेहद खास माना जाता है। व्रत करने वाली महिलाएं पानी के अंदर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। छठ पूजा के लिए तैयार की गई टोकरी में ठेकुओ, फूल, फल, चावल के लड्डू, कंदमूल, मूली, गन्ना आदि चीजें होती है। जैसे ही शाम का समय होता है व्रतधारी पूरे परिवार के साथ तालाब या घाट पर पहुंचते हैं और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। रविवार को सूप में चढ़ने वाला प्रसाद तैयार किया गया और आज शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होगा।