एचबीएनसी कार्यक्रम से नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर रखी जाती है नजर।
नवजात में गंभीर बीमारी की पहचान करने व ईलाज में मिलती है मदद।
RKTV NEWS/गया(बिहार)03 सितंबर। नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग विभिन्न तरीकों से प्रयास कर रहा है। इनमें संस्थागत प्रसव को ही प्राथमिकता देने, शिशु का ससमय टीकाकरण के साथ—साथ नवजात शिशु के स्वास्थ्य का संपूर्ण ध्यान रखने के लिए गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम की मदद से आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र के घर—घर जाकर जन्में नवजात शिशु की देखभाल और स्वास्थ्य की पड़ताल करती हैं। इसके लिए आशा माताओं को नवजात के स्वास्थ्य की देखभाल संबंधी परामर्श भी देती हैं।
स्वास्थ्य विभाग डीपीएम नीलेश कुमार ने बताया कि नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम को काफी बढ़ावा दे रहा है। गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम का सकारात्मक असर ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से हुआ है। आशा कार्यकर्ताद्वारा गृह भ्रमण कर 42 दिनों तक नवजात की देखरेख की जाती है। संस्थागत प्रसव एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में आशा कार्यकर्ता घर जाकर नवजात की देखभाल करती हैं। आशा गृह भ्रमण कर नवजात के स्वास्थ्य के खतरे से जुड़ी संकेतों को पहचान करती हैं और माताओं को देखभाल की आवश्यक जानकारी देती हैं। शिशु का स्वास्थ्य खराब रहने पर उसे सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट उपचार के लिए भेजा जाता है। बताया कि जिले में इस वर्ष जुलाई माह में आशा के माध्यम से गृह भ्रमण कर 3644 नवताज शिशु की देखभाल आशा कार्यकर्ता द्वारा की गयी। इनमें 2943 बच्चे ऐसे थे जिनका प्रसव सरकारी या निजी अस्पताल में हुआ था। जबकि 661 नवजात ऐसे थे जिनका जन्म घरों में ही हुआ था।
गृहभ्रमण से बीमारी की आसानी से पहचान
साइंस जर्नल लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक समय से पहले जन्म या कम वजन होना नवजात की मौत का एक प्रमुख कारण है। वहीं नवजात में निमोनिया, डायरिया या संक्रमण दूसरी सबसे बड़े कारण है। नवजात को सही समय पर ईलाज मिल सके, इसके लिए गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल की मदद से आशा रोग के संकेतों की पहचान करती हैं और ईलाज के लिए प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाता है। जरूरी होने पर नवजात को बड़े अस्पताल या एसएनसीयू में रेफर किया जाता है। आशा कार्यकर्ता संस्थागत प्रसव की स्थिति में 6 बार गृह यानि जन्म के 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर तथा गृह प्रसव की स्थिति में 7 बार यानि जन्म के 1, 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42वें दिवस पर गृह भ्रमण करती हैं। गृहभ्रमण से किसी प्रकार की जोखिम या जटिलता की पहचान कर उसका निदान किया जाता है। इस कार्यक्रम की मदद से परिवार को आदर्श स्वास्थ्य व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना एवं सहयोग करने तथा मां के अंदर अपने नवजात स्वास्थ्य की सुरक्षा करने का आत्मविश्वास एवं दक्षता को विकसित करने में मदद मिल रही है।
इन परिस्थिति में भेजा जाता है एसएनसीयू
नवजात शिशु का वजन जन्म के समय 1800 ग्राम से कम होने पर, शरीर ठंडा होने या गर्म होने पर, आंख या शरीर पीला या नीला होने पर, स्तनपान नहीं करने पर या स्तनपान करने में कठिनाई होने पर, सांस तेज चलने या छाती धंसी दिखने पर या शरीर पर बहुत अधिक फुंसी या एक बड़ा फोड़ा दिखने आदि पर एसएनसीयू में भरती कराया जाता है।