RKTV NEWS/नई दिल्ली 03 सितंबर।असाधारण प्रतिभा की धनी खिलाडी मोना अग्रवाल अपनी कड़ी मेहनत के दम पर पैरा शूटिंग में कामयाबी की मिसाल बन गयी हैं । पैरालिंपिक्स 2024 में आर2 महिला 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीत उन्होंने दुनिया भर में खेल जगत में अपना दबदबा कायम किया है। मोना के धैर्य और दृढ़ संकल्प का नतीज़ा है कि शुरुआती जीवन की तमाम चुनौतियों को पार कर पैरा शूटिंग में उन्होंने यह मुकाम हासिल कर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश को गौरवान्वित किया।
प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा
मोना का जन्म राजस्थान के सीकर में 8 नवंबर, 1987 हुआ था। मोना को जीवन के शुरूआत में ही एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। वह केवल नौ महीने की उम्र में पोलियो से पीड़ित हो गईं, जिससे उनके दोनों निचले अंग प्रभावित हुए। इसके बावजूद उन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ अपनी शिक्षा प्राप्त करते हुए कला विषय में डिग्री हासिल की। वर्तमान में दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से वह मनोविज्ञान विषय में स्नातकोत्तर कर रही हैं।
दृढ़ संकल्प और धैर्य से चढ़ी सफलता की सीढ़ी
मोना ने 23 साल की उम्र में घर छोड़कर स्वतंत्र जीवन जीने का साहसिक निर्णय लिया। इस राह में कई शारीरिक चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने मानव संसाधन और मार्केटिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 2016 में उन्होंने अपना ध्यान पैरा-एथलेटिक्स पर केंद्रित किया। उन्होंने थ्रो स्पर्धाओं की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पहली बार प्रदर्शन किया और तीनों श्रेणियों में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उन्होंने राज्य स्तरीय पैरा पावरलिफ्टिंग में भी भाग लिया और कई पदक अपने नाम किए ।
भारत में सिटिंग वॉलीबॉल में अग्रणी
अपनी एथलेटिक्स उपलब्धियों के अलावा मोना भारत में महिलाओं के लिए सीटिंग वॉलीबॉल में भी अग्रणी रही हैं। कप्तान के रूप में उन्होंने 2019 में महिलाओं के लिए पहली राष्ट्रीय सीटिंग वॉलीबॉल चैंपियनशिप में राजस्थान टीम को स्वर्ण पदक दिलाया। एक अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए उनका चयन किया गया , लेकिन गर्भावस्था के कारण वह उसमें भाग नहीं ले सकीं।
राइफल शूटिंग में हाथ आजमाया
मोना ने दिसंबर 2021 में व्यक्तिगत खेल में खुद को आगे बढ़ाने का फैसला किया और राइफल शूटिंग को चुना। उनकी सहज प्रतिभा शुरू से ही दिख रही थी। उन्होंने 2022 में राष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक जीता। उन्होंने 2023 के मध्य तक अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय विश्व कप में मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता और चौथे एशियाई पैरा खेलों में छठे स्थान पर रहीं।
मोना की मेहनत का फल उनकी चौथी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में मिला, जहां उन्होंने स्वर्ण पदक और पैरालंपिक्स कोटा हासिल कर एक नया एशियाई रिकॉर्ड बनाया। इस उल्लेखनीय उपलब्धि ने वैश्विक मंच पर पैरा शूटिंग में एक शीर्ष दावेदार के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया।
प्रशिक्षण एवं सहायता
पैरा शूटिंग में मोना अग्रवाल की सफलता में भारत सरकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मोना को खेलो इंडिया योजना और राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) कार्यक्रम जैसी पहल के माध्यम से अपने प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त हुई। इन कार्यक्रमों से उन्हें विश्वस्तरीय सुविधाओं का लाभ मिला, जिसमें नई दिल्ली में डॉ. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में भोजन और आवास के साथ-साथ आवश्यक खेल उपकरण और सहायक उपकरण भी शामिल हैं। इससे मोना को पैरालिंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने के सपने को पूरा करने में काफी मदद मिली।
खेल जगत में मोना अग्रवाल का सफर उनकी जीवटता, दृढ़ संकल्प और सफलता की एक प्रेरक कहानी है। फिलहाल वह पेरिस 2024 पैरालिंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। ऐसे में उनकी ये उपलब्धियां भावी खिलाड़ियों के लिए आशा की किरण बन गयी है।