आरा/भोजपुर (डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा)01 सितंबर । शनिवार को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के सभी 19 अंगीभूत महाविद्यालयों में राज्य शिक्षक संघ फुटाब एवं फुस्टाब के आह्वान पर जोरदार धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया।जिसमें सैकड़ों शिक्षको ने भाग लिया।शिक्षक नेताओं ने सरकार के विरुद्ध शिक्षकों के साथ भेदभाव और माहौल खराब करने का आरोप भी लगाया।विश्वविद्यालय मुख्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षक संघ द्वारा प्रातः 11बजे से एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस आयोजन में सेवा निवृत्त शिक्षक संघ के सदस्य बड़ी संख्या में शामिल रहे। पेंशनर सदस्यों ने भी सबका साथ दिया।
सरकार द्वारा शिक्षकों को परेशान करना,कागजी आंकड़ो में उलझाकर वेतन, पेंशन, तथा संगठन पर गलत दबाव बनाकर अपमानित करने का कार्य शिक्षक संघ को मंजूर नहीं है जिसका विरोध चल रहा है।प्रो पारस नाथ सिंह,प्रो महेश सिंह,प्रो बिनोद सिंह,प्रो सत्यनारायण सिंह,प्रो सच्चिदानंद सहाय,प्रो नंद जी दूबे,प्रो दिवाकर पांडेय जैसे वरीय शिक्षक धरना में बैठे रहे।
जैन कालेज शिक्षक संघ अपने महाविद्यालय में धरना-प्रदर्शन किया।प्रो जमील अहमद प्रो दिवाकर पांडेय के नेतृत्व टेंट लगाकर धरना दिया गया।जगजीजीवन कॉलेज आरा के तमाम शिक्षक संघ के आह्वान पर एक जुटता का प्रदर्शन करते हुए सरकारी व्यवस्था के खिलाफ नारेबाजी की और यह संकेत दिया की शिक्षक मान सम्मान के साथ ही काम करेंगे, आत्म सम्मान गंवाकर किसी के दबाव में काम करने वाले नहीं है।प्रो अजय कुमार,प्रो चंदन कुमार,प्रो सत्येंद्र पांडेय,प्रो अमृत जायसवाल,प्रो अरशद अली,प्रो सिद्धू,प्रो रीतिका पांडेय, मनोज कुमार श्रीवास्तव, जयवीर कुमार आदि रहे।
वही महाराजा कालेज,एस बी कालेज , महिला कालेज के शिक्षक एक साथ संघ के आह्वान पर एकजुट रहे और मांगों के लिए अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने का सफल आयोजन किया।अंत में संघ द्वारा ज्ञापन प्रधानाचार्य और कुलाधिपति तक प्रेषित किया गया।भकुटा एवं भकुस्टा के डा चंचल पांडे, शशी राय डा दिवाकर पांडे,जमील अहमद, स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के डा अमित कुमार तथा सेवा निवृत्त शिक्षक संघ के डा विरेंद्र प्रसाद ने बताया की पूरे बिहार के 260 अंगीभूत महाविद्यालयों में धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम सांकेतिक रहा। लेकिन वास्तव में बिहार सरकार, शिक्षा मंत्री राजभवन के लिए संकेत है की कॉलेज की शैक्षणिक व्यवस्था बखूबी शिक्षक करते आ रहे हैं और कर रहे हैं लेकिन स्वायत्तता में बाहरी हस्तक्षेप से टकराव बढ़ा है ऐसा आरोप शिक्षक नेताओं ने लगाया है।तमाम कॉलेज के शिक्षक शत प्रतिशत धरना प्रदर्शन में सम्मिलित हुए और एकजुटता का मिशाल प्रस्तुत किया।
इसी कड़ी में जो विश्वविद्यालय के दूसरे बड़े सहयोगी शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर अपने-अपने कॉलेज में धरना प्रदर्शन किया और एक जुटता का परिचय देते हुए कार्यक्रम को सफल बनाया।सरकार के नये नये आदेश से सभी कॉलेज के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी नाखुश हैं। सरकार समस्याओं का समाधान नहीं बल्कि कागजो में उलझाकर और जटिल बनाकर परेशान कर रही है। परेशान कर्मचारी आंदोलन करने का संकेत दे रहे हैं। क्षेत्रीय अध्यक्ष चितरंजन प्रसाद सिंह ने सरकारी आदेशों को तुगलकी फरमान बताया है जो अब सहने की स्थिति में नहीं है।काम करवाकर वेतन न देना,वेतन सत्यापन, प्रोमोशन,एसीपी, पेंशन आदि के इंतजार में कितने कर्मचारी स्वर्ग सिधार गए लेकिन कोई समाधान नहीं मिला, समझौता करके सरकार और विश्वविद्यालय लागू न करना असहनीय है।
प्रो कन्हैया बहादुर सिंहा शिक्षकों के मान सम्मान के लिए सदैव संवैधानिक कार्यो के सहयोगी रहे हैं और साकारात्मक कार्यों के पक्षधर रहे हैं लेकिन विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और शिक्षकों का सम्मान के लिए संघ गैरकानूनी आदेश का विरोध करता है और आगे भी करता रहेगा। सभी शिक्षकों का सहयोग और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उनका आभार व्यक्त किया।