आरा/भोजपुर (डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा)22 जुलाई । रविवार को श्रीगुरुपूर्णिमा महोत्सव पर श्रीसनातन शक्तिपीठ संस्थानम् तथा सनातन-सुरसरि सेवा न्यास द्वारा फ्रेंड्स कॉलोनी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भगवान् वेदव्यास तथा भगवान् श्रीमन्नारायण से आरंभ संपूर्ण गुरु परंपरा का पूजन-अर्चन किया गया। आचार्य भारतभूषण जी महाराज के नेतृत्व में वैदिक मंत्रों से अर्चन तथा पुराण प्रवचन हुआ। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए शिवदास सिंह ने कहा कि गुरु की आवश्यकता जीवनपर्यंत होती है। गुरु के बिना एक कदम भी नहीं चला जा सकता है। विशिष्ट वक्ता विश्वनाथ दूबे, ब्रह्मेश्वर दसौंधी तथा मधेश्वर नाथ पाण्डेय ने कहा कि भगवान वेदव्यास का अवतार आषाढ़ पूर्णिमा को ही हुआ था। वे गुरुओं के गुरु हैं तथा सनातन भारतीय चिंतन व साहित्य के शलाका पुरुष हैं। शशिकांत तिवारी ने कहा कि समाज में जितने ज्येष्ठ-श्रेष्ठ हैं, वे सभी पूज्य और गुरुजन हैं।उनका आदर हमारे उत्कर्ष का हेतु है। निलेश कुमार मिश्र ने कहा कि माता, पिता की सेवा और संस्कारों का संरक्षण भगवान वेदव्यास का संदेश है।अध्यक्षीय भाषण में प्रो बलिराज ठाकुर ने कहा कि जीवन में जिसने एक मात्रा का भी ज्ञान दे दिया है उसका ऋण चुकाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि समाज का अस्तित्व शिक्षा पर ही आधारित है। शिक्षा न केवल ग्रंथों से बल्कि घर, परिवार और समाज के व्यवहार से, बुजुर्गों के अनुभव से और आत्मचिंतन से प्राप्त होती है। गुरु बृहत्तर परिवार का व्यवहार तथा जीवन का सही रास्ता प्रदान करते हैं। जीवन के अंधकार को दूर कर आलोकित पथ का सृजन करनेवाले महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता की स्मृति गुरु-पूर्णिमा कराती है। स्वागत भाषण कुमार सौरभ, संचालन नर्मदेश्वर उपाध्याय और धन्यवाद ज्ञापन सत्येन्द्र नारायण सिंह ने किया। वक्ताओं में डॉ सत्यनारायण उपाध्याय, डॉ शशिरंजन त्रिपाठी,विजया सिन्हा, सच्चिदानंद प्रसाद, महेंद्र पांडेय, अमर नाथ तिवारी,पिंटू सिंह, शिवदास सिंह, शशिकांत तिवारी, विश्वनाथ दूबे, नर्मदेश्वर उपाध्याय, रविशंकर त्रिपाठी, मधेश्वर नाथ पाण्डेय आदि प्रमुख थे।