तीन नए फौजदारी कानून बेहद खतरनाक, लोकतंत्र मजाक बनकर रह जाएगा।
बिहार मे NDA के तथाकथित विकास मॉडल के अंदर जबरदस्त व संगठित भ्रष्टाचार।
शिक्षा और परीक्षा में माफिया का पूरा तंत्र बिहार में सरकार के संरक्षण में फल-फूल रहा।
94 लाख गरीब परिवार को 2 लाख रुपये मदद और गरीबों के वास- आवास के प्रश्न पर चलेगा “हक दो- वादा निभाओ” अभियान।
65 प्रतिशत आरक्षण के सवाल को 9 वीं अनुसूची में डालो।
RKTV NEWS/आरा(भोजपुर )07 जुलाई।आरा के चंदवा के ग्रीन हेवन् रिशॉर्ट में भाकपा-माले की दो दिवसीय राज्य कमिटी की बैठक के उपरांत आज एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसे माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, आरा सांसद सुदामा प्रसाद, काराकाट सांसद राजाराम सिंह, AIPWA महासचिव मीना तिवारी आदि ने संबोधित किया. मौके पर पार्टी राज्य सचिव कुणाल, स्कीम वर्कर नेता व विधान पार्षद शशि यादव और जिला सचिव जवाहर लाल नेहरू भी उपस्थित थे।
माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि इस चुनाव ने लोकतंत्र व संविधान के पक्ष में जनादेश दिया है. यह जरूर है कि यूपी में जिस प्रकार की सफलता इंडिया गठबंधन को मिली बिहार में हम उससे दूर रह गए. लेकिन शाहाबाद और दक्षिण बिहार ने मोदी की तानाशाही के खिलाफ करारा जवाब दिया है। हम शाहाबाद और दक्षिण बिहार की जनता का धन्यवाद करते हैं।
जो मिशन अधूरा रह गया है, आने वाले दिनों में हम उसे पूरा करने के लिए और बड़ी एकता व आंदोलन का निर्माण करेंगे और अपनी जीत सुनिश्चित करेंगे।
मोदी का तीसरा कार्यकाल जनादेश की मूल भावना के खिलाफ है। कायदे से मोदी को प्रधानमंत्री नहीं होना चाहिए था न ही अमित शाह को गृह मंत्री और स्पीकर के पद पर ओम बिरला को बैठना चाहिए था।लेकिन इस तीसरे कार्यकाल में भी मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल के स्वरूप को बरकरार रखे हुए हैं और बहुत ही खतरनाक संकेत उभर कर सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा की यह विडंबना ही कही जाएगी की तीन नए फौजदारी कानून को 1 जुलाई से लागू कर दिया गया है. जो बेहद खतरनाक हैं. हमारे सांसदों ने सुझाव दिया था कि इसपर बहस हो, सदन के भीतर समीक्षा हो और बड़ी सहमति के आधार पर आगे बढ़ा जाए, तबतक इन कानूनों को स्थगित रखा जाए. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कानून के जानकार बताते हैं यह सब बहुत परेशान करने वाला है. लोकतंत्र मजाक बनकर रह जाएगा।
राजद्रोह समाप्त करने के नाम पर और भी खतरनाक देशद्रोह कानून बना दिया गया है। इसका मतलब है विरोध की हर आवाज को अब दबाने की कोशिश होगी। इसके खिलाफ हम पूरे देश में आंदोलन का निर्माण करेंगे।
22 जुलाई से संसद का सत्र शुरू हो रहा है. सरकार बजट लेकर आएगी. हम देखेंगे कि किसानों के एमएसपी, पुरानी पेंशन योजना, न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी आदि सवालों पर सरकार क्या कदम उठाती है? उसके बाद हम अपनी रणनीति तय करेंगे।
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा की बिहार में पुल गिरने का लगातार नया रिकॉर्ड स्थापित हो रहा है। इससे एक बात स्पष्ट है कि नीतीश कुमार के तथाकथित विकास मॉडल के अंदर जबरदस्त भ्रष्टाचार है। तमाम जो निर्माण हो रहे हैं उसमें शर्तों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
Neet घोटाला के तार पटना और गुजरात से जुड़ रहे है।यह साबित करता है कि शिक्षा और परीक्षा में माफिया का एक पूरा तंत्र बिहार में सरकार के संरक्षण में फल फूल रहा है और बिहार सहित पूरे देश के युवाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है।NTA को खत्म किया जाना चाहिए. दूसरी व्यवस्था होनी चाहिए. पेपर लीक के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है। जो इसके जिम्मेदार हैं उन पर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के बाद आरक्षण का विस्तार किया गया था। अफसोस की बात है कि उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।अब एक ही रास्ता है कि केंद्र सरकार इसमें पहल करे और आरक्षण के सवाल को 9 वीं अनुसूची में डालने का काम करे।
सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का एक दूसरा पहलू गरीबी से जुड़ा हुआ है. तकरीबन 94 लाख परिवार ₹6000 से कम आमदनी पर जिंदा है. सरकार ने इन्हें ₹200000 मदद की बात की थी. इस सवाल को लेकर हम पूरे बिहार में “हक दो- वादा निभाओ” आंदोलन चलाएंगे। 16 जुलाई को पटना के रवींद्र भवन में कार्यकर्ता कन्वेंशन के साथ इसकी शुरूआत होगी।
अलग-अलग हिस्सों, किसानों – महिलाओं – नौजवानों – मजदूरों के सार्थक आंदोलन का निर्माण होगा।
सम्मेलन को आरा सांसद सुदामा प्रसाद ने भी संबोधित किया। उन्होंने शाहाबाद में इंडिया गठबंधन की जीत पर शाहाबाद और मगध की जनता का धन्यवाद किया। काराकाट सांसद राजाराम सिंह ने कहा कि शाहाबाद की धरती आंदोलनकारी की धरती है। आजादी के आंदोलन से लेकर तानाशाही के खिलाफ संघर्ष में इस इलाके ने बड़ी भूमिका निभाई है। चुनाव के दौरान शहीद हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि. तमाम मतदाताओं और चुनाव कर्मियों का धन्यवाद।
मीना तिवारी ने कहा कि मुजफ्फरपुर डीबीआर मामले में अविलंब एसआईटी का गठन, मुख्य अभियुक्त मनीष सिन्हा की गिरफ्तारी, राजनीतिक संरक्षण व प्रशासनिक मिलीभगत को भी जांच होनी चाहिए।