उपभोक्ता कार्य ,खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान (बीई) में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए आंतरिक एवं अतिरिक्त बजटीय संसाधन (आईईबीआर) के रूप में प्रदर्शित 1.45 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय का उद्देश्य खरीद/पीडीएस प्रचालनों के प्रबंधन की लागत चुकाने के लिए अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की आवश्यकता के एक संकेतात्मक आकलन का प्रतिनिधित्व करना है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) आउटलेट के माध्यम से वितरण के लिए अनिवार्य वस्तुएं उपलब्ध कराने के बाद केंद्रीय बजट से प्रतिपूर्ति के आधार पर एफसीआई को खाद्य सब्सिडी (आर्थिक लागत और केंद्रीय निर्गम मूल्य के बीच का अंतर) जारी की जाती है। इसकी प्राप्ति तक, एफसीआई अपनी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं या खरीद प्रचालन, स्थापना, माल ढुलाई, भंडारण माल ढुलाई शुल्क आदि से उत्पन्न होने वाली लागत का प्रबंधन बैंकों के कंसोर्टियम से नकद ऋण, अल्पावधि ऋण (90 दिनों तक), अर्थोपाय अग्रिम आदि से करता है। केंद्रीय बजट से एफसीआई को जारी खाद्य सब्सिडी में कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं से लागत शामिल है।
बजटीय पारदर्शिता और सक्रिय प्रकटीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, वित्त वर्ष 2023-24 के बजट दस्तावेज़ अगले वित्तीय वर्ष के दौरान एफसीआई के लिए एक संकेतात्मक कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं का प्रकटीकरण करते हैं। संकेतात्मक अनुमान के मुकाबले वास्तविक उपयोग आवश्यकता आधारित और चरणबद्ध तरीके से होने की उम्मीद है। यह एफसीआई को उपलब्ध कराई गई एक निरंतर व्यवस्था रही है। उदाहरण के लिए, चालू वित्त वर्ष 2022-23 में संकेतात्मक आईईबीआर परिव्यय बजट अनुमानों में 89,425 करोड़ रुपए था, जिसे घटी हुई इन्वेंट्री की कम वहन लागत के कारण संशोधित अनुमानों में घटाकर 56,935 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए उच्चतर अनुमान वर्ष में अनिवार्य वस्तुओं की बढ़ती सूची के कारण आकस्मिक व्यय सहित खरीद के उच्च स्तर की एफसीआई की प्रत्याशा को दर्शाता है। सरकार यह भी दोहराती है कि वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में खाद्य सब्सिडी का प्रावधान लाभार्थियों के बीच वितरण के लिए अनिवार्य वस्तुओं की अनुमानित पीडीएस आवश्यकता से संबंधित सभी अनुमानित लागतों को कवर करने के लिए पर्याप्त है।