नई दिल्ली/11 सितंबर।केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि कल संपन्न जी20 इंडिया शिखर सम्मेलन ने भारत की तकनीकी क्षमताओं के साथ-साथ आर्थिक ताकत को भी प्रदर्शित किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर), नई दिल्ली के कार्यक्रम ‘वन वीक वन लैब’ (ओडब्ल्यूओएल) के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, इस सरकार ने पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक प्रौद्योगिकी की अत्याधुनिकता के बीच सम्मिश्रण को संस्थागत बनाया है। हमारे पास पारंपरिक ज्ञान पुस्तकालय था जिसे अब टीकेडीएल (ट्रेडिशन अंडर प्राइमल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी) के नाम से जाना जाता है। यहां तक कि भारत मंडपम या इस सरकार द्वारा निर्मित कुछ नवीनतम स्मारक पारंपरिक विरासत के साथ नवीनतम वैज्ञानिक कौशल, प्रौद्योगिकी और वास्तुकला के सर्वोत्तम संयोजन का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो हमें पीढ़ियों से विरासत में मिला है।”
जी20 शिखर सम्मेलन में नई दिल्ली घोषणापत्र में भारत की ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली मिशन’ (लाइफ) की अपनाई गई पहल को लागू करने और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई गई। ‘हरित विकास संधि’ को अपनाकर जी20 ने सतत और हरित विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं की भी पुष्टि की है।
जी20 शिखर सम्मेलन ने ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी (जीडीपीआईआर) बनाने और उसे कायम रखने की भारत की योजना का समर्थन किया और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रबंधित संरचना के भीतर डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल (जीआईडीएच) की स्थापना का स्वागत किया।
जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर सिंगापुर, बांग्लादेश, इटली, अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मॉरीशस और यूएई के नेताओं द्वारा ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस (जीबीए) का शुभारंभ एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। जीबीए का लक्ष्य एक उत्प्रेरक मंच के रूप में काम करना है, जो जैव ईंधन की उन्नति और व्यापक रूप से अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है।
अधिकतम 70 प्रतिशत तक की गैर-सरकारी स्रोत से फंडिंग वाले अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने इसे पूरा करने में नेतृत्व की भूमिका निभाई है। यह एक ऐसा अवसर भी है जब हम उस तरह के कार्य के दृष्टिकोण में बदलाव कर रहे हैं, जिसका हम वर्षों से पालन करते रहे हैं।”
‘वन वीक वन लैब’ (ओडब्ल्यूओएल) कार्यक्रम की सफलता के बाद, डॉ. जितेंद्र सिंह ने विभिन्न सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के प्रयासों को एकीकृत करने की दिशा में ‘वन मंथ वन थीम’ कार्यक्रम के अनुपालन का प्रस्ताव रखा।
इस बात कि चर्चा करते हुए कि आदित्य मिशन ‘संपूर्ण विज्ञान’ के विजन को दर्शाता है, जहां सभी विभागों ने इसरो, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं, टाटा इंस्टीट्यूट आदि सहित संसाधनों को एकत्रित किया, उन्होंने कहा, “भले ही (सीएसआईआर) प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक की एक अलग यूएसपी है, किंतु कई प्रयोगशालाओं में साझा विषय हैं, जिसका अगले चरण में हम विषयों के आधार पर व्यापक एकीकरण कर सकते हैं।”
यह बताते हुए कि एनआईएससीपीआर एक पथप्रदर्शक हो सकता है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर प्रयोगशालाएं 10 सफलता की कहानियां प्रचारित कर सकती हैं।
उन्होंने कहा, “यह विचार संभावित लाभार्थियों तक पहुंचने वाला है। कोई भी प्रयोग कितना भी मूल्यवान क्यों न हो, वह वास्तव में अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पाता है, यदि यह उन लोगों तक नहीं पहुंचता है जिनके लिए यह होना चाहिए।”
इस अवसर पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने साइंस मीडिया कम्युनिकेशन सेल का उद्घाटन किया और कई एनआईएससीपीआर प्रकाशन और जर्नल जारी किए। सभा को संबोधित करने वाले गणमान्य व्यक्तियों में डीएसआईआर के सचिव और सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी, सीएसआईआर-एनपीएल के निदेशक प्रो. वेणु गोपाल अचंता और सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल शामिल थे।