मोक्षदायिनी को मोक्ष दिलाने क्या फिर कोई भागीरथ आयेगा……..
RKTV NEWS/अनिल सिंह 06अप्रैल।मैं धुवनन्दा हूँ मैं ही गंगा हूँ. .. .. .. मैं मोक्षदायिनी खुद के मोक्ष की प्रतीक्षा में हूँ…..मुझे मोक्ष दिलवाने क्या फिर कोई भागीरथ आयेगा ? गंगा के पीड़ा का यह संवाद कल 5अप्रैल को गूंज उठा स्थानीय हर प्रसाद दास जैन स्कूल में। अवसर था शिवादी क्लासिक सेंटर ऑफ़ आर्ट एंड म्यूजिक द्वारा आयोजित द्वितीय चैत्र महोत्सव सह गंगा उत्सव का। इस समारोह का उद्घाटन वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अध्यक्ष सह कुलसचिव प्रोफेसर रणविजय कुमार , हर प्रसाद दास जैन स्कूल के सचिव श्री ज्योत प्रकाश जैन , हिन्दी विभाग एचडी जैन कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. पुष्पा द्विवेदी , शास्त्रीय गायिका डॉ. जया जैन व वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के सीनेटर श्री संतोष तिवारी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत संरक्षक श्री सुशील कुमार ‘देहाती’ , रंगकर्मी अशोक मानव , शास्त्रीय गायिका विदुषी विमला देवी , साहित्यकार श्री रंजीत बहादुर माथुर व संगीतकार श्री अरुण सहाय ने पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. रणविजय कुमार ने कहा कि गंगा कालजयी प्रसंग है जिसकी अस्मिता और आंतरिक पीड़ा को व्यक्त करने में संगीत नृत्य कला ही सक्षम है। भारतीय शास्त्रीय संगीत और गंगा ये दोनों ही भारत वर्ष जैसे तपोधाम पर अमृत के रूप में विद्यमान हैं। इस अवसर पर गुरु आदित्या श्रीवास्तवा एवं समूह ने गंगा एक संकल्प नृत्य नाटिका के माध्यम से गंगा के प्रचंड वेग व धरती पर अवतरण के साथ साथ गंगा में फैल रहीं गंदगी के कारण गंगा की व्यथा को बखूबी प्रदर्शित किया। आदित्या श्रीवास्तव के निर्देशन में लगभग एक दर्जन कथक कलाकारों ने अपनी कला कौशलता से गंगा को कथक शैली में जीवंत किया। बैकुंठलोक से जटाधारी शिव के शीश पर विराजमान होती गंगा के हिमालय से गंगा सागर तक के प्रवाह के साथ साथ गीत -संगीत ,नृत्य व अभिनय के उत्कृष्ट प्रदर्श प्रवाह में दर्शक गोते लगाते नजर आये। गंगा को दूषित करने का अट्टहास करता काल्पनिक पात्र ‘कालिमा’ आकर्षण का केंद्र रहा। इस पात्र को राजा कुमार ने बखूबी निभाया। गंगा की भूमिका में आदित्या श्रीवास्तव व शिव की भूमिका में अमित कुमार ने भाव भंगिमाओं से दर्शकों को खासा प्रभावित किया। रविशंकर कान्सयकार, शालिनी महाराज , संजना कुमारी , मीनाक्षी पाण्डेय, खुशी कुमारी गुप्ता, स्नेहा पांडेय, सलोनी व मुस्कान ने अपनी मुद्राओं से गंगा के प्रचंड वेग व प्रवाह को जीवंत कर दिया और हर्षिता विक्रम ने सूत्रधार की भूमिका निभाते हुये प्रसंगों को प्रस्तुत किया। इस नृत्य नाटिका का संगीत निर्देशन व काव्य लेखन गुरु बक्शी ने किया वहीं रोहित कुमार ने अपने मधुर स्वरों से संगीत का शृंगार किया। आदित्या श्रीवास्तव द्वारा एक संवाद ”क्या फिर कोई भागीरथ आयेग” ? इस प्रश्न पर नाटिका का पट्टाक्षेप लोगों को भावुक कर गया। सभी कलाकारों को रंगकर्मी डॉ. स्वयंवरा बक्शी व पत्रकार संजय शाश्वत ने सम्मानित किया। युवा कलाकार अमन कुमार के द्वारा रंगोली व दीप शृंखला भी आकर्षण का केंद्र रहा। लोगों ने गंगा के तट जैसा वातावरण महसूस किया। मंच संचालन श्री रौशन कुमार व धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ चिंतक श्री कृष्णा जी ने किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा जगत से कई गणमान्य, रंगकर्मी , संगीत साधक व प्रबुद्धजन उपस्थित थें।