जगत पुकारे।
मोहन-मोहन जगत पुकारे
मोहन मोहन बनो सहारे।
जग तेरा ही माला जपता
कान्हा तारणहार हमारे।।
नाथों के तुम नाथ रहे हो
सच्चाई के साथ रहे हो।
प्यारे मोहन मुझे बताओ
मौन विवश क्यों आज खड़े हो।
आकुल धरती तुझे पुकारे
तुम बिन कौन जगत को तारे—
मौन द्रौपदी तुझे पुकारी
क्यों ना आए तुम गिरधारी।
नहीं बख्शना उस पापी को
जिसने मेरी लाज उतारी।।
पलड़ा भारी हुआ पाप का
सुन सारे जग के रखवारे—-
तुमने बहुत असुर संहारे
दीन दुखी के सबल सहारे।
संकट में है पावन धरती
तुम बिन इसको कौन संवारे।।
पाप मुक्त कर दो धरती को
करें याचना दुख के मारे—
एकबार फिर आओ मोहन
मां बहनों की लाज बचाने।
हर पापी बलात्कारी को
आओ कान्हा सबक सिखाने।।
देर करो मत आ भी जाओ
कान्हा -कान्हा जगत पुकारे …