बटाईदार किसानों को पहचान पत्र दे कृषि योजनाओं का लाभ दे सरकार।
खुदरा व्यवसायियों के विकास हेतु व्यवसाई आयोग का हो गठन।
तीन नवीन फौजदारी कानून को बताया अभिव्यक्ति की आजादी का उलंघन।
दक्षिण इलाके के सोन नहरों का किया जाए पक्कीकरण।
बिहार ,झारखंड, उत्तर प्रदेश के राज्यों के बीच अटकी कवयन जलाशय परियोजना को पूर्ण कराने की ओर ध्यान कराया आकृष्ट।
उतरी इलाके में गंगा नदी के कटाव की रोकथाम हेतु ठोकर बांध का हो निर्माण।
पंचायत स्तर पर फायर ब्रिगेड गाड़ियों का हो इंतजाम।
सहारा इंडिया के निवेशकों का जल्द हो रकम की वापसी।
RKTV NEWS/पटना ( बिहार) 02 जुलाई। आरा लोकसभा के सांसद सुदामा प्रसाद ने सोमवार को सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए सभापति का आभार प्रकट करते हुए अपनी पार्टी के महासचिव कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य और भोजपुर की जनता का भी आभार व्यक्त करते हुए कहा की उन्होंने मुझे लोकतंत्र के इस सबसे बड़े मंदिर में चुनकर भेजा है।
सुदामा प्रसाद ने आगे कहा की महोदय, मैं राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के खिलाफ बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं। सब लोग जानते हैं कि इस देश में खेती घाटे में जा रही है। बढ़ती महंगाई और लागत सामग्रियों के कारण खेती में किसानों को घाटा हो रहा है और जिन भू-धारी किसानों या भू-स्वामियों के पास रोजगार का दूसरा विकल्प है, वे खेती नहीं करना चाहते हैं। वे अपनी खेटी बटाई पर दे रहे हैं, मनी पर दे रहे हैं, पट्टे पर दे रहे हैं। घाटे की खेती का भार देश के बटाईदार किसानों ने अपने कंधों पर उठा रखा है, लेकिन उन्हें किसान नहीं समझा जाता है। हजारों-करोड़ रुपयों का जो कृषि बजट है, उनके पहचान पत्र के अभाव में उसका लाभ नहीं मिल रहा है।
महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से यह गुजारिश करूंगा कि जॉब कार्ड की तर्ज पर बटाईदार किसानों को पहचान पत्र दे,ताकि उन्हें भी कृषि की हर सुविधा मिले और देश के लिए खेती करने में उनका उत्साह बढ़े।
दूसरा, हम लोग देख रहे हैं कि नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना काल में तीन-तीन बार लॉकडाउन लगा था। अभी ऑनलाइन व्यापार आ गया है, इससे देश के जो खुदरा व्यापारी हैं, चाहे वे फुटपाथी दुकानदार हो, छोटे-मझोले व्यवसायी हों, सबका व्यापार पटरी से उतर गया है। मैं आपके माध्यम से सरकार से यह मांग करूंगा कि देश के खुदरा व्यापारियों के सामरिक विकास के लिए देश में व्यवसायी आयोग का गठन किया जाए।
तीसरा, अभी त्वरित न्याय और अपराध नियंत्रण के नाम पर जो तीन नए फौजदारी कानून बनाए गए है, मैं समझता हूं कि देश के सविधान में भारत के नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार दिया गया है, ये उसका सीधे-सीधे उल्लंघन है। ये उल्लंघन ही नहीं है, बल्कि एक तरह से देश को पुलिस राज में तब्दील करने का षडयंत्र है। यह कहा जाए कि पुलिस को अस्थायी तौर पर सस्थागत रूप से आपातकाल लगाने की छूट दी गई है। अब कोई धरना प्रदर्शन करेगा, भूख हड़ताल करेगा, तो उसको भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है और अपराधियों की तरह उनको भी सजा मिलेगी।
मैं समझता हूं कि अब थानेदारों के विवेक पर इस बात को छोड़ दिया गया है कि वे एफआईआर करेंगे या नहीं करेंगे। थानों में पहले डिटेंशन की अवधि 15 दिन थी, उसको बढ़ाकर 60 से 90 दिन कर दिया गया है। मैं समझता हूं कि इस तरह से आप आरोपी को प्रताड़ित करके कुछ भी उगलवा सकते हैं। इसलिए इस कानून को फिर से सदन के पटल पर रखा जाए और उस पर पुनर्विचार हो एवं जो जसरी राय या सुझाव आएं, उसके आधार पर इसको आगे बढ़ाया जाए।
हमारे यहां खेती सोन नहर के आधार पर होती है। जिले के दक्षिणी इलाके में सोन नहरे है, जो करीब 150 साल पुरानी हो गई है। उन नहरों का पक्कीकरण करवाया जाए। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों के बीच सोन नदी में कदवन जलाशय परियोजना अटकी हुई है। उसके लिए सरकार पहल करके उस कवयन जलाशय परियोजना को पूरा कराए। मेरे जिले के उत्तरी इलाके में गंगा नदी है। गंगा नदी के किनारे जो गांव बसे है, वहां हमेशा कटाव होता है। उस कटाव की रोकथाम के लिए ठोकर बांध का निर्माण किया जाए। भयानक आग लग जाती है तो पंचायत लेवल पर फायर ब्रिगेड गाड़ियों का इंतजाम किया जाए। मैं आपके माध्यम से सरकार से यह मांग करता हूं। सहारा इंडिया में गरीबों का भारी पैसा फंसा हुआ है। लोग अपने बच्चों के भविष्य के लिए, शादी-ब्याह के लिए और हमारे माननीय गृह मंत्री जी ने भी आवासन दिया था कि हम पैसा वापस दिलवाएंगे। सहारा इंडिया में जिन निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है, उसको वापस दिलवाया जाए। गरीब बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।