आरा/भोजपुर (डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा)03 नवंबर।आज चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर स्थानीय महाजन टोली स्थित आश्रम परिसर में संगीत संध्या का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम का उद्घाटन वरिष्ठ संगीतज्ञ विदुषी बिमला देवी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया । इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राग रागिनियाँ की परंपरा आदिकाल से विद्यमान हैं। संगीत साधना का मार्ग है जो अनंत की यात्रा करवाता है । स्वर अंतहीन होते हैं इसकी अनुगूंज चारो ओर व्याप्त हैं । इस पावन धरती पर मां गंगा और शास्त्रीय संगीत वरदान स्वरूप प्राप्त हैं । श्रेया पांडे ने राग मारू विहाग में बड़ा ख्याल विलंबित एकताल की बंदिश “झूठी मोसो प्रीत करो ना सांवरिया” छोटा ख्याल मध्य लय तीनताल की बंदिश “पनघटवा छेड़त मोहे कान्ह कुंवर” व द्रुत एकताल की बंदिश “अरज करी हारी मैं तो बनवारी” की मनोहारी प्रस्तुती रही।शास्त्रीय गायक महेश यादव ने राग पुरिया कल्याण में बड़ा ख्याल, तीन ताल मध्य लय की बंदिश ” बहुत दिन बीते अजहुँ ना आये श्याम, खमाज की ठुमरी प्रस्तुत कर समां बाँधा ।युवा कथक नर्तक अमित कुमार ने गणेश वंदना ” गाइये गणपति जगवंदन ” पर सिद्धिविनयाक गणपति की सुंदर छवि को प्रस्तुत करते हुए तीनताल में शुद्ध कथक की शानदार प्रस्तुति रही।स्नेहा पांडे व रीतिका ने गोपियों के विरह भाव को प्रस्तुत किया ।तबला वादक सूरज कांत पांडेय ने स्वतंत्र तबला वादन में बनारस में घराने की परंपरा को प्रस्तुत किया । युवा गायक अजीत पांडेय ने ठुमरी व दादरा की प्रस्तुत कर रस बरसाया । मंच संचालन कथक नर्तक रविशंकर व धन्यवाद ज्ञापन कथक गुरु आदित्या ने किया।