आरा/ भोजपुर (डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा)15 मार्च करमन टोला आरा स्व. प्रियरंजन प्रसाद श्रीवास्तव के आवास पर आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दुसरे दिन वाराणसी से पधारे आचार्य अरविंद जी महाराज ने व्यासपीठ से संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा के चरणों में अपने आप को मन क्रम और वचन से समर्पित कर देना ही भागवत होता है। इस संसार में भागवत वही है जिसने अपने को परमात्मा का अनन्य बना लिया है। जीव को एक बार यदि राम रस का सुख प्राप्त हो जावे तो वह सांसारिक विषयों की तरफ मुखरित नहीं होता। जिस हंस को मानसरोवर झील मिल जाए वह छोटी-छोटी गड्ढों में किस लिए जाएगा?अतः सद्गुरु का कर्तव्य है कि वह जीव को सोमरस से राम रस की तरफ लेकर जाए। यदि सद्गुरु कृपा करें तो संसार एवं संसारी लोग अवश्य ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे। इस मौके पर प्रधान यजमान श्रीमती कृष्णा श्रीवास्तव, श्री अभय जी, राजीव जी, मोहन जी , कल्पना जी , रिमा जी एवं क्षेत्र के बहुत सारे भागवत वृंद ज्ञान गंगा में डुबकी लगाते हुए स्वयं को धन्य धन्य महसूस कर रहे थे।
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