23/10/2020 से प्रक्रियाधीन है सदस्यों की नियुक्तियां।
बक्सर/भोजपुर(अनिल सिंह) महिलाओं से संबंधित विशिष्ट समस्याओं की जांच करने और राज्य से महिलाओं से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने के लिए बिहार राज्य महिला आयोग का गठन किया गया था। आयोग महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और परिवार और समुदाय में किसी भी प्रकार के उत्पीड़न और मुद्दों के खिलाफ उनकी सुरक्षा और समानता सुनिश्चित करने की शक्तियों से लैस किया गया था।जिससे सामाजिक स्तर पर सभी वर्ग की महिलाओं के समस्याओं का निष्पादन कराया जाता था। किंतु महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले राज्य सरकार की इस आयोग के प्रति उदासीनता कुछ अलग ही बयां करती है।वर्षो से रिक्त पड़े इस आयोग की अध्यक्षा और सदस्यों की कुर्सी इनके विराजमान होने की प्रतीक्षा कर रही है। कडसर (बक्सर) निवासी निराला कुमार चौधरी जो एक आरटीआई कार्यकर्ता है इन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री सचिवालय बिहार सरकार पटना के लोक सूचना पदाधिकारी से आरटीआई के तहत कुछ सूचनाएं मांगी थी जिसके जवाब में समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार पटना के लोक सूचना पदाधिकारी ने उपरोक्त जानकारी जानकारी उपल्ब्ध कराई है। राज्य सरकार द्वारा वर्षो से भंग बिहार महिला आयोग के पुनर्गठन के संबंध में कोई नीति निर्धारण की संबधित अधिसूचना है की नही जिसके जवाब में आयोग ने 23/10/2020 को सभी पदों के कार्यकाल के समाप्त होने की बात कही और नये सदस्यों और अधिकारियों के पदों के मनोनयन को प्रक्रियाधीन बताया। इस पर निराला ने क्षोभ व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा की एक तरफ सरकार जगह जगह जनसभाओं को संबोधित करते हुए महिला अत्याचार और सशक्तिकरण जैसी लोक लुभावनी बातों से सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करती है और यहां तक कि कथित सामाजिक और बुधिजीविवर्ग जो महिला संबंधी आयोजनों में सम्मिलित होते है और दीप प्रज्वलित करते और महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण रूपी बातें तो करते है वो भूल जाते है की व्यक्तिगत रूप में वो सारी समस्याओं का निदान नही कर पाएंगे उसके लिए ही सुगम न्याय देने के माध्यम के रूप में बिहार महिला आयोग का गठन किया गया है,जिसके प्रति सरकार उदासीन है।