आजमगढ़/ उत्तर प्रदेश (अरविंद चित्रांश) भारत की पहली रिकॉर्डिस्ट सुपरस्टार दक्षिण एशिया की पहली गायिका और नर्तकी का जन्म आजमगढ़ में होने के नाते उत्तर प्रदेश फिल्म निर्माण की कड़ी में आजमगढ़ का महत्व ऐतिहासिक माना जाएगा,गौहर जान का जन्म 26 जून 1873 को आजमगढ़ और मृत्यु 17 जनवरी 1930 को हो गया था,जिनके गाने ग्रामाफोन कंपनी ने 1902 में रिकॉर्ड करने की बदौलत ही भारत में ग्रामोफोन की लोकप्रियता हासिल हुई थी, गौहर जान ने बंगाली,हिन्दुस्तानी, गुजराती,तमिल,मराठी, अरबी, फ़ारसी, फ्रेंच और अंग्रेज़ी समेत 10 से भी ज्यादा भाषाओं में 600 से भी अधिक गाने रिकॉर्ड किए,
पूर्वांचल की सांस्कृतिक धरती आजमगढ़ के रहने वाले जाने-माने लोककला एवं प्रकृति,पर्यावरण संरक्षक, अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगम भारत के संयोजक और ए. आर. इंटरटेनमेंट मुंबई के निर्माता/निर्देशक अरविंद चित्रांश ने कहा कि गौहर जान ख्याल, ध्रुपद और ठुमरी की मल्लिका थीं,उनका ख्याल गायन इतना उम्दा था कि भातखण्डे ने उन्हें भारत की महान ख्याल गायिका घोषित किया,ये उनकी आवाज और कला का जादू था जिसने उन्हें उस समय के पुरुष प्रधान क्षेत्र में भी अपनी ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती, भजन और तराना के जरिए हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की पहचान पूरी दुनिया में पहुंचाई थी,गौहर जान अपने समय की बहुत महंगी सुपरस्टार थी,बताया जाता है कि एक बार उन्होंने दतिया में एक गीत संगीत के प्रदर्शन में जाने के लिए अपनी एक निजी रेल की मांग की,जिसमें उनके साथ उनका खानसामाँ, उसके मददगार, निजी हकीम,धोबी और अन्य नौकर भी गए थे,उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जन्मीं गौहर के दादा ब्रिटिश थे तो उनकी दादी हिन्दू थीं,गौहर जान के पिता अर्मेनियन और मां विक्टोरिया जन्म से भारतीय एक प्रशिक्षित नृत्यांगना और गायिका थीं,अपने पति से तलाक होने के बाद विक्टोरिया अपनी 8 साल की बच्ची एंजलिना को लेकर बनारस चली गई थीं, जहां उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और नाम रखा ‘मलका जान’, मां के साथ साथ गौहर का भी धर्म बदला गया और वह एंजलिना से गौहर जान बन गईं,एंजलिना से गौहर बनने वालीं इस कलाकार का अधिकतर काम कृष्ण भक्ति पर है,बनारस से दोनों माँ-बेटी कलकत्ता चले गए, जहां गौहर ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया,1887 से अपनी यात्रा शुरू करने के बाद 19वीं सदी तक वह प्रसिद्ध हो गईं।