मन चंगा तो कठौती में गंगा-रघुपतियादवआरा/भोजपुर(अनिल सिंह)बड़हरा विधानसभा क्षेत्र के बभंगावा(सरैया),झोखिपुर, गुड़ी,महुदही, बखोरापुर,देवरथ,महकमपुर,बीरमपुर, तमाम गांवों में संत शिरोमणि रविदास की जयंती मनाई गई जिसमे में जनअधिकार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संस्कृति सह बड़हरा विधानसभा क्षेत्र पूर्व प्रत्याशी रघुपति यादव ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और संत रविदास के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा की संत रविदास जी मध्यकाल के एक बहुत ही प्रख्यात भारतीय संत थे। जिन्होनें जात-पात जैसे विषय को लेकर घोर संघर्ष तथा विरोध किया था। इनका मानना था कि ईश्वर एक ही है। इसी कारण इन्हें सतगुरु अथवा जगतगुरु की उपाधि दी जाती है।गुरु रविदास जी ने रैदासिया अथवा रविदासिया पंथ की स्थापना की थी जिस कारण से उनको रैदास के नाम से भी जाना जाता है। इनके द्वारा रचे गये कुछ विशेष भजन सिक्खों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं। गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल भजन और रविदासिया की केंद्रीय आकृति के रूप में ये अत्यंत ही प्रसिद्ध थे।इसी के साथ ही गुरु के रूप में बहुत ही सम्मानित थे। ये 15 वीं से 16 वीं शताब्दी में एक महान संत होने के साथ-साथ दार्शनिक, समाज सुधारक और भगवान के अनुयायी थे। अपनी रचनाओं के द्वारा संत रविदास जी ने अपने अनुयायीयों, समाज एवं देश के लोगों को धार्मिक एवं सामाजिक सन्देश दिया था। साथ ही उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा की एक बार एक पर्व के अवसर पर पड़ोस के लोग गंगा-स्नान के लिए जा रहे थे। रैदास (संत रविदास) के शिष्यों में से एक ने उनसे भी चलने का आग्रह किया तो वे बोले, गंगा-स्नान के लिए मैं अवश्य चलता किन्तु मैने कुछ कार्य के लिए किसी को वचन दे रखा है। यदि मैं उस कार्य को आज नही कर सका तो वचन भंग होगा।गंगा स्नान के लिए जाने पर मन यहाँ लगा रहेगा तो पुण्य कैसे प्राप्त होगा ? मन जो काम करने के लिए अन्त:करण से तैयार हो वही काम करना उचित है। मन सही है तो इसे कठौते के जल में ही गंगास्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है। कहा जाता है कि इस प्रकार के व्यवहार के बाद से ही कहावत प्रचलित हो गयी कि – मन चंगा तो कठौती में गंगा। भक्ति और प्राप्ति के लिए यह जरूरी नहीं कि आप दूर जाए जंगल में जाएं आप बैठकर अपने घर में भी ईश्वर के प्रति ध्यान लगाकर अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।उन्होंने सभी लोगो को रविदास जयंती की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर आयोजनकर्ताओं द्वारा रघुपति यादव को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित भी किया गया।