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मानसून की दस्तक के साथ पूर्णिमा की रात सुर ताल की बौछार ।

आरा/भोजपुर (अमरेश सिंह) 04 जुलाई। आषाढ़ पूर्णिमा की पूरी रात शास्त्रीय संगीतज्ञों ने की नादब्रह्म की साधना। शास्त्रीय स्वरों की अनुगूंज से गुरु की उपासना का यह दृश्य अद्भुत रहा। गुरु बक्शी विकास एवं शिष्य परिवार की ओर से आश्रम में आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सव में नृत्य सम्राट पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज एवं भोजपुर की संगीत परंपरा के दिवंगत गुरुजनों को एकसाथ वंदन कर श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर पारंपरिक विधि से गुरु पूजन किया गया। इस अवसर पर आश्रम के संगीत प्रशिक्षुओं ने विदुषी विमला देवी, तबला के आचार्य पंडित शिवनंदन प्रसाद श्रीवास्तव, कथक गुरु बक्शी विकास व गुरु आदित्या श्रीवास्तव का माल्यार्पण व चंदन कर स्वागत किया। इस अवसर पर गुरु बक्शी विकास ने कहा कि गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन की परंपरा वैदिक काल से चली आ रहीं है और चारों युगों में गुरु के उदार चरित्र व शिष्य के समर्पण की पराकाष्टा का उदाहरण हमारे ग्रंथों में अंकित है। कार्यक्रम में बाल नृत्यांगना सौम्या जैन, हंसिका, राशि , मुस्कान व चित्रा ने कथक शैली में भाव अभिनय प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। वहीं युवा गायक नीतीश पाण्डे व तबला वादक आयुष पाण्डेय ने सुर ताल की युगलबंदी प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। गुरु बक्शी विकास के शिष्य शिष्याओं में कथक नर्तक अमित कुमार , राजा कुमार, तनु कुमारी, मीनाक्षी पाण्डेय, खुशी कुमारी गुप्ता व स्नेहा पाण्डेय ने विभिन्न तालों में पारंपरिक कथक प्रस्तुत कर समां बांधा। वहीं विदुषी बिमला देवी की शिष्य परंपरा से नंदिता पंडित ने राग यमन में बड़ा ख्याल “कजरा कैसे डारूं” मध्य लय तीनताल “मन मोरा रे माने ना” व द्रुत एकताल में शिव की स्तुति, श्रेया पाण्डेय ने राग दरबारी में विलंबित एकताल व मध्य लय की बंदिश “मैं तो हरि की बंसुरिया पे बारी व अजीत पाण्डेय ने राग जोग में एकताल का बड़ा ख्याल “कगवा री जाई कहियो पियरवा से आवन को” छोटा ख्याल ” प्रीत की डोर में हम तुम साजन” द्रुत ख्याल व ठुमरी “तोहसे लगलीं नजरिया वीराने देश में प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे जैसे पूर्णिमा की रात चढ़ती गई संगीत भी परवान चढ़ता गया। पटना से पधारे तबला वादक पंडित शिवनंदन प्रसाद श्रीवास्तव ने बनारस शैली के स्वतंत्र तबला वादन में उठान, मिश्र जाति में कायदा रेला व कई प्राचीन गत व फर्द की आकर्षक प्रस्तुति की। मध्य रात्रि में अतिथि कलाकार राजेश राय ने दरबारी राग का आवाह्न कर बंदिश “राम नाम कर गान हृदय से…..झनन झनन पायल बाजे….तुमही बसत हो प्रीतम प्यारे, श्री महेश यादव ने राग राग तोड़ी में बड़ा ख्याल “करतार करो मोरी नैया पार” छोटा ख्याल व भैरवी की ठुमरी ” आजा सांवरिया तोहे गरबा लगाऊं, मोहम्मद निजामुद्दीन खां ने राग पहाड़ी में ठुमरी बातों बातों में बीत गयी रात सजन तुम रूठ गये, आश्रम की संरक्षक सह शास्त्रीय गायिका विदुषी बिमला देवी ने राग मेघ मल्लहार में तीनताल की बंदिश बालम आओ सावन मा, एकताल की बंदिश “गरज गरज घिर आई घटा घनघोर” व खमाज की ठुमरी “इतनी अरज मोरी मानो पियाप्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का समापन प्रातः बेला में प्रोफेसर विश्वनाथ राय के भैरवी की ठुमरी “बाजूबंद खुली खुली जाए सांवरिया ने” से हुआ। विभिन्न प्रस्तुतियों में तबले पर रामकिशोर मिश्रा व हारमोनियम पर गुरु बक्शी विकास ने संगत से रंग भरा। मंच संचालन कथक नर्तक रविशंकर व धन्यवाद ज्ञापन आदित्या श्रीवास्तव ने किया।

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