RKTV NEWS/ नयी दिल्ली,24 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसले में अरूप भुइयां बनाम असम राज्य, इंद्र दास बनाम असम राज्य और केरल राज्य बनाम रानीफ में अपने 2011 के फैसलों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होना भी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 या आतंकवाद और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA Act) के तहत अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जब तक कि यह कुछ प्रत्यक्ष हिंसक के साथ न हो।जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने यूएपीए की धारा 10 (ए) (आई) को भी बरकरार रखा, जो ऐसे संगठन की सदस्यता बनाती है जिसे अपराध के रूप में गैरकानूनी घोषित किया गया है। जस्टिस मार्कंडेय काटजू और जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा की 2-न्यायाधीशों की पीठ ने उल्फा का सदस्य होने के आरोपी व्यक्ति द्वारा टाडा के तहत दायर जमानत अर्जी पर फैसला करते हुए अरुप भुइयां में 2011 का फैसला सुनाया।