विटा नगर परिषद् ने लगवाए थैला एटीएम, सर्कुलर इकोनॉमी के प्रति फैलाई जागरूकता।
RKTV NEWS/महाराष्ट्र,21 मार्च।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस के भाषण में लोगों से सिंगल यूज़ प्लास्टिक को “ना” कहने की अपील की थी। प्लास्टिक बैन को लेकर सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है और साथ ही उनके दूसरे विकल्प भी सुझा रही है। इन्हीं प्रयासों को सफल बनाने के लिए कई नियम बनाए गए और उन्हें सख़्ती से लागू कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सिंगल यूज़ प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगाने और उसका इस्तेमाल न करने के प्रति देश भर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिसमें सभी राज्य अपने-अपने तरीके से योगदान दे रहे हैं। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के अनोखे प्रयास भी सुर्खियां बटोर रहे हैं जिसमें से प्रमुख है- थैला एटीएम।ऑटोमेटेड थैला मशीन!
थैला एटीएम का प्रयोग बिल्कुल एक बैंक एटीएम की तरह ही है। इसमें उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकतानुसार सिक्का या नोट डालते हैं और वेंडिंग मशीन से आसानी से थैला मिल जाता है। इसमें उपलब्ध थैले, कॉटन यानि सूती कपड़े से बने हुए हैं जो कि री-यूज़ किये जा सकते हैं। इस परियोजना का उद्देश्य पर्यावरण को स्वच्छ और स्थिर बनाना है। उपयोगकर्ता को वॉइस ओवर के ज़रिए मशीन को प्रयोग करने के लिए निर्देश भी मिलते हैं। यह मशीन जीएसएम टेक्नॉलजी पर आधारित है। इस टेक्नॉलजी के माध्यम से परिषद्, मशीन में उपलब्ध और कुल निकाले गए थैलों की निगरानी करता है। जैसे ही मशीन में थैलों की संख्या तय की गई लिमिट से कम होती है तुरंत एक अलर्ट मैसेज परिषद् को पहुंच जाता है और वे उसे रीफिल कर देते हैं।
महिलाओं को आर्थिक मजबूती और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ज़रूरी कदम
थैला एटीएम से विटा के सेल्फ हैल्प ग्रुप्स को रोज़गार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं और आमदनी का भी ज़रिया बन गया है। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं थैला, एटीएम वेंडिंग मशीन के लिए कपड़े के थैले सिल कर स्वयं को आत्मनिर्भर बना अपना जीवन स्वाभिमान के साथ जीना सीख रही हैं।
विटा, महाराष्ट्र में पिछले 10 वर्षों से रहने वाली मुमताज़ राजू सैय्यद कहती हैं कि –
मैं जब भी मार्केट आती थी तो प्लास्टिक का थैला ही मिलता था, जिसका दुबारा यूज़ भी नहीं किया जा सकता था और फेंकने पर भी उसके अवशेष पूरी तरह से नष्ट नहीं होते। लेकिन थैला एटीएम आने से अब कपड़े का थैला मिल जाता है जिससे शॉपिंग के दौरान समान रखना बिल्कुल आसान हो जाता है।”
राज्य में व्यापक स्तर पर उठाए जा रहे हैं कदम
महाराष्ट्र प्लास्टिक को पूर्णतः प्रतिबंधित करने वाला देश का 18वां राज्य बन चुका है। बाजार में परिषद् द्वारा औचक निरीक्षण के लिए अधिकारियों की तैनाती कर प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करने वाले व्यापारियों, दुकानदारों व खरीददारों पर जुर्माना लगाया जा रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। महाराष्ट्र के वसई जिले के पालघर में 50000 पोस्टर लगवा कर प्रचार किया गया, नागपुर के वर्धा शहर में स्वयं सहायता समूह ने 17000 पेपर बैग्स बटवाए, वहीं अमरावती जिले के अकोला शहर में स्ट्रीट प्ले के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाने का सफल प्रयास किया गया।
महाराष्ट्र के कई शहरों में रीसाइकल प्लांट लगाने की योजना के तहत प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल्स (PPP) की सहयता से कई टन प्लास्टिक वेस्ट का निस्तारण सुनिश्चित किया गया। रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकल (3R) के तहत काफी सक्रियता से उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है जैसे अमरावती में वेस्ट मैनेजमेंट से ईको-ब्रिक बनाए गए हैं एवम् कई शहरों में वेस्ट टु वंडर पार्कों में प्लास्टिक के इस्तेमाल से सौंदर्यीकरण किया गया है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार 60 माइक्रोन तक की मोटाई के कैरी बैग और कप, हार्ड फोम, सॉफ्ट फोम और लैमिनेटेड प्लास्टिक या एल्युमीनियम-कोटेड पैकेजिंग सामग्री का उपयोग कर महाराष्ट्र में सड़क का भी निर्माण किया जा रहा है।
सर्कुलर इकोनॉमी के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ा
नगर परिषद् द्वारा IEC कार्यक्रम के तहत प्लास्टिक के बदले ईको-फ्रेंडली विकल्पों को प्रदर्शित कर जागरूकता फैलाने से लेकर प्रतिबंधित वस्तुओं के बारे में लोगों को जागरूक किया। साथ ही उनके सफल निस्तारण और रीसाइकल के तरीके भी सुझाए जिससे युवाओं के बीच सर्कुलर इकोनॉमी के प्रति भी जागरूकता बढ़ी। सर्कुलर इकोनॉमी यानि किसी इस्तेमाल की हुई वस्तु का पुनर्चक्रण कर पुनः इस्तेमाल कर राजस्व उत्पन्न करने की नीति युवाओं को लुभा रही है।