पूर्णिया/बिहार(रवि शेखर प्रकाश) 25 फरवरी महागठबंधन की महारैली पूरे दमखम के साथ अपनी एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन कर रही है।नजर लोकसभा चुनाव पर टिकी है।बिहार में लोक सभा की 40 सीटे है। महागठबंधन की एनड़ीए के खिलाफ जबरदस्त मोर्चा बंदी है ।आज बिहार में गृह मंत्री अमित शाह का भी कार्यक्रम है। राजद के मंत्री महासेठ ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जा की मांग को लेकर अमित शाह पर हमला बोला है।
नितीश कुमार विपक्ष को एक जुट करने को लेकर बहुत बडा ब्यान दे चुके है ,इन्होनें माले के अधिवेशन मंच से कॉंग्रेस के वरीय नेताओ को कहा था की मेरा सुझाव मान लिजिये और जल्दी से जल्दी हम लोगों से बात किजीये की कहां- कहां कौन कैसे लडेगा ? बिहार सीएम ने कहा था की हम लोग एक हो जायेगे तो बीजेपी 100 से नीचे चली आयेगी ।फिलहाल महागठबंधन के बुलंद हौसले से बीजेपी का पसीना छूटना तो लाजमी है।
बीजेपी भी अपनी पैतरे बाजी से बाज़ नहीं आ रही है। 2024 के लोक सभा चुनाव से भटका कर 2025 के बिहार विधान सभा के चुनाव की तरफ़ जनता के मुड को उलझा रही है।
हमने जब महागठबंधन में शामिल दलों के प्रमुख नेताओ ,मंत्रियों और पार्षदो से जेडीयू के आन्तरिक मामलों के बारे में जिक्र किया की उपेन्द्र कुशवाहा के सम्पर्क में जेडीयू के कितने मंत्री ,विधायक है? सबो ने जवाब दिया की उनकी हैसियत जेडीयू में उस लायक थी क्या ?जब उपेन्द्र कुशवाहा अपनी पार्टी बनाये थे तो उनके मंत्री ,विधायक उनके सम्पर्क में ही नही थे तो जेडीयू के लोगो को कैसे अपने सम्पर्क में ले लेगे । जीतन राम मांझी भी महागठबंधन के साथ मजबूती से खड़े है। क्या
पूर्णिया में हो रही महारैली की गूँज से मोदी की सत्ता डोल रही है? महारैली के दिन अमित शाह के बिहार आगमन के क्या मायने है?क्या कॉंग्रेस नीतीश कुमार के सुझाव पर अमल करेगी ? लोकसभा चुनाव में विपक्ष के पास कौन सा चेहरा है जो मोदी को टक्कर दे सकता है ?लोगों को ये सवाल बेचैन कर रहा है।
यहाँ सवाल चेहरे का नहीं है की कौन टक्कर देगा ? सवाल ये है की मोदी ने अपने शासन काल में किया ही क्या है जिससे आम जनमानस को राहत मिली हो। करोना काल में 10 करोड़ प्रवासी मजदूरों की रोजगारी छिन गई है ।वे अपने -अपने राज्यों में बेकार बैठे हुए है।नरेगा के मजदुरो की दीहाड़ी भी कम कर दी गई है और काम भी सरकार नहीं दे पा रही है।अडानी के द्वारा किया गया स्कैम पर सरकार चुप क्यों है?अडानी को सलाखों के पीछे सरकार क्यों नहीं डालती है?नीरव मोदी पर भी एनडीए सरकार के स्टेन्ड़ किलियर नहीं है।
अभी हाल ही में रिजर्व बैक के पुर्व गवर्नर रंगराजन जी का व्यान आया था की देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है।लोगों के रोजी -रोजगार के लाले पड़ गये है। बहुत से छोटे -मझोले कम्पनिया बंद हो गई ।
महंगाई और बेरोजगारी देश के सामने ज्वलंत मुद्दे है ।जिससे जनता त्राहिमाम है ।सही मायने में देखा जाये तो राष्ट्रहित के ये ही असली मुद्दे है।मंदिर -मस्जिद कोई मुद्दा नहीं है।लोगो को अब ये समझना होगा ।
पूर्णिया की इस महारैली से कॉग्रेस के शीर्ष नेताओं को सबक लेनी चाहिये ।बिहार से उठी एक ललकार ,अबकी पीएम नीतीश कुमार के मुहिम का साथ मिलजुल कर दे की आवाज बुलंद है।