RKTV NEWS/नयी दिल्ली,हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति में न्यायिक अधिकारियों का कोटा बढ़ाकर 50% करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कानून मंत्रालय और दिल्ली हाईकोर्ट से जवाब मांगा । जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन मामले में दायर एक हस्तक्षेप आवेदन पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया। वर्तमान में, उच्च न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों को 1/3 हाईकोर्ट के पदों पर नियुक्त करने की प्रथा है, शेष 2/3 सदस्य बार से आते हैं।7 फरवरी को सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट राकेश खन्ना, एडवोकेट सचिन जैन और एडवोकेट अजय कुमार अग्रवाल आवेदकों के लिए उपस्थित हुए। भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 (2) पर भरोसा करते हुए दिल्ली के न्यायिक सेवा संघ द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के दो स्रोत हैं। पहला स्रोत वह व्यक्ति है जिसने कम से कम 10 वर्षों के लिए एक न्यायिक पद संभाला है और दूसरा स्रोत वह व्यक्ति है जो कम से कम 10 वर्षों तक एडवोकेट रहा है। आवेदन में कहा गया है कि ये दो स्रोत स्वतंत्र और अलग हैं।बता दें, संविधान में बार या सेवा से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के सेवन के बारे में कोई अनुपात या कोटा का उल्लेख नहीं किया गया है। चूंकि अनुच्छेद 217 (2) ए और बी श्रेणियों की तुलना में नियुक्तियों के लिए कोई अनुपात निर्धारित नहीं करता है। यह तथ्य कि न्यायिक अधिकारियों की श्रेणी को समान रूप से न्यायिक पदों पर आसीन व्यक्तियों पर अधिक जोर और जिम्मेदारी डालते हुए बार की श्रेणी से पहले रखा गया है, यह दर्शाता है कि संविधान निर्माताओं ने दोनों के साथ व्यवहार किया है।
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