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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र में 511 प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्रों का शुभारंभ किया।

नई दिल्ली/19 अक्टूबर।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज महाराष्ट्र में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 511 प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्रों का शुभारंभ किया। महाराष्ट्र के 34 ग्रामीण जिलों में स्थापित ये केंद्र ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करेंगे।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के आरंभ में यह कहा कि यह नवरात्रि का 5वां दिन है, जब स्कंद माता की पूजा की जाती है। यह देखते हुए कि हर मां अपने बच्चों के लिए खुशी और सफलता की कामना करती है, प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि इसे केवल शिक्षा और कौशल विकास से ही संभव बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र में 511 प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्रों की स्थापना के बारे में बोलते हुए कहा कि आज का दिन लाखों युवाओं के कौशल विकास के लिए एक बड़ा कदम है, जो इस दिन को स्मरणीय बनाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व स्तर पर कुशल भारतीय युवाओं की मांग बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने कई देशों की जनसंख्या में बढ़ती आयु प्रोफ़ाइल का उल्लेख करते हुए, एक अध्ययन को साझा किया जिसमें कहा गया है कि 16 देशों ने लगभग 40 लाख कुशल युवाओं को रोजगार प्रदान करने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लिए कुशल पेशेवर तैयार कर रहा है।” उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कौशल केंद्र स्थानीय युवाओं को वैश्विक नौकरियों के लिए तैयार करेंगे और उन्हें निर्माण, आधुनिक कृषि, मीडिया तथा मनोरंजन और इलेक्ट्रॉनिक्स में कौशल प्रदान करेंगे। प्रधानमंत्री ने बुनियादी विदेशी भाषा कौशल, भाषा व्याख्या के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस टूल का उपयोग करने वाले सॉफ्ट स्किल में प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। यह प्रशिक्षण नियोक्ताओं के लिए और अधिक आकर्षक बन जाएगा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछली सरकारों में लंबे समय तक कौशल विकास के प्रति दूरदर्शिता और गंभीरता की कमी रही, जिसके परिणामस्वरूप कौशल की कमी के कारण लाखों युवाओं के लिए नौकरी के अवसर कम हो गए। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि वर्तमान सरकार ने कौशल विकास की आवश्यकता को समझा और इसके लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया, जिसके पास अपना बजटीय आवंटन है और विभिन्‍न योजनाएं हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि कौशल विकास योजना के अंतर्गत 1 करोड़ 30 लाख से अधिक युवाओं को विभिन्‍न विशेषज्ञताओं के तहत प्रशिक्षण प्रदान किया गया है तथा पूरे देश में सैकड़ों प्रधानमंत्री कौशल केंद्र स्थापित किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में कौशल विकास पहल के योगदान पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने बाबा साहेब अंबेडकर के दर्शन का उल्लेख किया, जो दलितों, पिछड़ों और जनजातियों के उत्थान के लिए औद्योगीकरण पर केंद्रित था, क्योंकि इन समुदायों के पास भूमि बहुत कम थी। अतीत में कौशल की कमी के कारण ये समुदाय गुणवत्तापूर्ण नौकरियां पाने के अवसर से वंचित रहे। उन्होंने कहा कि सरकार की कौशल विकास पहल का सबसे अधिक लाभ गरीब, दलित, पिछड़े और जनजातीय परिवारों द्वारा प्राप्‍त किया जा रहा है।
महिलाओं की शिक्षा के मामले में समाज की बेड़ियों को तोड़ने में सावित्री बाई फुले के योगदान को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने दोहराया कि केवल ज्ञान प्राप्‍त और कौशल युक्‍त लोग ही समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि महिलाओं की शिक्षा और प्रशिक्षण पर सरकार के विशेष ध्‍यान की प्रेरणा सावित्री बाई फुले रही हैं। उन्होंने महिलाओं को प्रशिक्षण देने वाले स्वयं सहायता समूहों का उल्लेख किया और बताया कि महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ से अधिक महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। उन्होंने कृषि और अन्य क्षेत्रों में ड्रोन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण देने की भी बात कही।
प्रधानमंत्री ने उन व्यवसायों का जिक्र किया, जो गांवों में पीढ़ियों से चले आ रहे हैं। उन्होंने पीएम विश्वकर्मा योजना के बारे में बात की, जो नाई, बढ़ई, धोबी, सुनार या लोहार जैसे व्यवसायों की मदद के लिए शुरू की गई है। प्रधानमंत्री ने बताया कि इसके तहत प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण और वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा, “सरकार इस योजना पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है और महाराष्ट्र में 500 से अधिक कौशल केंद्र इसे आगे बढ़ाएंगे।”
कौशल विकास के इन प्रयासों के बीच, प्रधानमंत्री ने विभिन्न प्रकार के उन कौशलों में सुधार पर जोर दिया जो देश को और मजबूत करेंगे। उन्होंने भारत के विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग) उद्योग में अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों या दोषरहित उत्पादों की आवश्यकता को रेखांकित किया और उद्योग 4.0 के बारे में भी चर्चा की जिसके लिए नए कौशल की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकारों को सेवा क्षेत्र, ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और आधुनिक तकनीक को ध्यान में रखते हुए नए कौशल पर भी जोर देना होगा। प्रधानमंत्री ने विनिर्माण के लिए वैसे उत्पादों को खोजने पर भी जोर दिया जो देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जायें। हमें ऐसे उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक कौशल को बढ़ावा देना होगा।
भारत के कृषि क्षेत्र में नए कौशल की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने धरती माता की रक्षा के लिए प्राकृतिक खेती पर जोर दिया। उन्होंने संतुलित सिंचाई, कृषि-उत्पादों के प्रसंस्करण, पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग का आकलन करने से संबंधित कौशल की आवश्यकता और बाकी दुनिया से ऑनलाइन जुड़ने हेतु लोगों को कुशल बनाने के बारे में बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “देश की विभिन्न सरकारों को अपने कौशल विकास के दायरे को और बढ़ाना होगा।”
प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षुओं को आश्वस्त किया कि उन्होंने बिल्कुल सही रास्ता चुना है क्योंकि कौशल के माध्यम से वे अपने परिवार और राष्ट्र के लिए व्यापक योगदान दे सकते हैं। प्रधानमंत्री ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री के अनुरोध पर वहां स्थित एक कौशल विकास केन्द्र की अपनी यात्रा का अनुभव सुनाया। प्रधानमंत्री ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री के गौरव को याद किया और बताया कि कैसे कौशल प्रशिक्षण की ऐसी गतिविधियों को सामाजिक स्वीकृति मिली। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रम की गरिमा को स्वीकार करना और कुशल कार्य के महत्व को पहचानना समाज का कर्तव्य है।
इस अवसर पर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस एवं अजीत पवार उपस्थित थे।

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