जिंक युक्त गेहूं से कुपोषण की समस्या होगी दूर :डॉ पीoकेo द्विवेदी।
आरा/भोजपुर (डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा) 10अप्रैल।आरा कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर आरा के द्वारा हार्वेस्ट प्लस अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर आरा में किया गया। जिसमे हार्वेस्ट प्लस राज्य इकाई से डॉ वीरेंद्र मेन्डाली, वरीय परियोजना प्रबंधक डीडीएम नाबार्ड श्री रंजीत सिन्हा , जीविका से श्रीमती स्नेहा शीतल एवं राघवेंद्र जी तथा कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर के वरीय वैज्ञानिक एवं हेड डॉ पीके द्विवेदी,डॉक्टर अनिल कुमार यादव ,डॉ सच्चिदानंद सिंह,रामनाथ ठाकुर सम्मिलित हुए।हार्वेस्ट प्लस के रोहित कुमार द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी हेड केवीके ने जानकारी दी कि जिंक की कमी के कारण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास दर में कमी देखी जा रही है।जो देशों से विदेश तक फैली है।शरीर मे काम करने की अक्षमता और रोगों से लड़ने की अक्षमता आ रही है।समस्या का समाधान करने के लिए हार्वेस्ट प्लस के द्वारा कई नई किस्मों की खोज की गई।इनका प्रदर्शन कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से भोजपुर के अनेक क्षेत्रों में किया गया। जिससे 8 गुना ज्यादा जिंक की उपलब्धता होती है।डॉ वीरेंद्र ने जानकारी दी की एक सौ से अधिक इस प्रकार के विशेष गुणों से युक्त प्रजातियां विकसित की जा चुकी हैं । बिहार में लगभग 50000 हेक्टेयर में इसकी खेती हो रही है जो एक शुभ संकेत है।जीविका की प्रबंधक स्नेहा ने बताया भोजपुर में आरा उदवंतनगर में इनकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है।डीडीएम नाबार्ड रंजीत सिन्हा ने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने बनारस में चर्चा के क्रम में जानकारी दी थी कि काला चना में जिंक का बाहुल्य है पहले से भी गेहूं में चना मिलाकर रोटियां बनाने का प्रचलन था और मडुआ के आटे की रोटी कुपोषण को दूर करने में प्राचीन समय से प्रयोग में लाई जाती रही है।डॉ सच्चिदानंद सिंह ने जानकारी दी कि इसका उत्पादन प्राकृतिक एवं जैविक खेती के माध्यम से भी सहजता से किया जा सकता है।
कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से 70 पुरुष एवं महिला किसानों ने भाग लिया।