औपनिवेशिक काल के कानूनों से भी ज्यादा दमनकारी।
नया कानून लोकतंत्र विरोधी है-माले
RKTVNEWS/आरा (भोजपुर)01 जुलाई।औपनिवेशिक काल के कानूनों भी ज्यादा दमनकारी नए अपराध कानूनों के कार्यान्वयन के खिलाफ भाकपा-माले के राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद दिवस के आरा में भाकपा-माले जिला कार्यालय श्रीटोला आरा से प्रतिरोध मार्च निकाला गया!जो बस स्टैंड में पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया!सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले नेताओं ने कहा भारत के हर नागरिक पर एक आशंका ही नहीं मंडरा रही है,बल्कि इसका डर है!यह उन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन का प्रतीक है जो अलोकतांत्रिक,जनविरोधी और क्रूर मानता है!जल्द ही लागू किए जाने वाले कानूनों के पीछे कथित उद्देश्य औपनिवेशिक कानूनों की दमनकारी और प्रतिगामी प्रकृति को हटाना,कानूनों को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित न्यायिक मिसालों के साथ ज़्यादा से ज़्यादा जोड़ना,इस देश पर शासन करने वाले संविधान का पालन करते हुए भारत को पूर्ण अर्थों में एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाना है!
जो कानून पारित किए गए हैं,वे पहले से कहीं अधिक दमनकारी और प्रतिगामी हैं,जो सर्वोच्च न्यायालय के उदाहरणों से जुड़े नहीं हैं और संविधान का पालन करना तो भूल ही जाइए,वे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों या किसी भी मनुष्य के मूल अधिकारों का पालन नहीं करते हैं!
इन अधिनायकवादी और क्रूर कानूनों ने पूरे देश में चिंताएं पैदा कर दी हैं!ये कानून वर्तमान सरकारों (चाहे संघ या राज्य स्तर पर) को सत्तारूढ़ दलों और उनका समर्थन करने वाली ताकतों के खिलाफ वैध,अहिंसक असहमति और विरोध का व्यापक अपराधीकरण करके लोकतंत्र के अभ्यास को निष्क्रिय करने में सक्षम बनाते हैं!वे निर्दोष नागरिकों और ईमानदार लोक सेवकों को भी आतंकित करते हैं क्योंकि वे वर्तमान सरकार को बिना किसी निर्देश के,मनमाने ढंग से और लगभग असीमित शक्ति देते हैं कि वे किसी को भी चुनकर गिरफ्तार कर सकें,हिरासत में ले सकें,मुकदमा चला सकें और दोषी ठहरा सकें,जिसमें उन्हें आतंकवादी और राष्ट्र-विरोधी करार देना भी शामिल है!इसके अलावा,ये कानून वास्तव में असाधारण शक्तियों को विनियमित करते हैं जो सामान्य रूप से केवल वैध आपातकालीन स्थितियों में ही उपलब्ध होनी चाहिए जैसा कि संविधान में पहले से ही प्रावधान है!इन कानूनों का प्रभाव,जैसा कि वर्तमान में स्वीकृत है,यह है कि एक बार जब वे प्रभावी हो जाते हैं,तो भारत अब एक कार्यशील लोकतंत्र नहीं रह जाएगा!प्रतिवाद मार्च में भाकपा-माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य राजू यादव,राज्य कमेटी सदस्य सुधीर कुमार सिंह, राज्य कमेटी सदस्य क्यामुद्दीन अंसारी,जिला स्थाई समिति सदस्य दिलराज प्रीतम,जिला कमेटी सदस्य अमित कुमार बंटी,ऐपवा नगर सचिव संगीता सिंह,जिला कमेटी सदस्य अजय कुमार गांधी,आइसा जिला सचिव विकास कुमार,नगर कमेटी सदस्य हरिनाथ राम,सुरेश पासवान,वार्ड पार्षद मु०राजन,संतविलास राम, रौशन कुशवाहा,रणधीर कुमार चंद्रवंशी,लव कुमार,पासवान,प्रभात कुमार,जगजीवन राम,प्रमोद रजक आदि कई लोग शामिल थे!