पटना/बिहार (रवि शेखर प्रकाश) ।उपेन्द्र कुशवाहा नें बिहार की राजनीत में कुशवाहा समाज के हिस्सेदारी को लेकर विगुल फूंक दिया है।लव-कुश समीकरण पर टिकी जेडीयू में कुशवाहा समाज को कोई अहमियत नहीं थी ।उपेन्द्र कुशवाहा समाज़ के बड़े नेता माने जाते है।इन्हें नेगलेट किया जाता रहा है।बिहार की राजनीतिक पटल पर किसी भी कुशवाहा नेतृत्व को उभरने नहीं दिया जाता है।इस बैठक में शामिल हुए एमएलसी रामेश्वर महतो का कहना है। सिंहा लाईब्रेरी में दो दिवसीय कुशवाहा मंथन जारी रहेगा ,इसकी शुरुआत 19 फरवरी रविवार को 12 बजे से हो गई ।20 फरवरी को इसका निर्णय हो जायेगा।5000 की संख्या में जुटे कुशवाहा, जेडीयू के अंदर अपनी मान-सम्मान की लड़ाई लड़ रहे है।इस बैठक का आयोजन जितेन्द्र नाथ जी के नेतृत्व में हुया ।इस बैठक में शामिल मुख्य नेताओं मेंजेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा, एम एल सी रामेश्वर महतो,सीवान के पुर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा,रेखा गुप्ता ,हिमांशु पटेल ,फैजल इमाम,राम पुकार जी ,माधव आनंद ,मालती देवी,समता फुले परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष जी कुशवाहा जी,जगदेव विचार मंच के संत जी ने शिरकत की।औरंगाबाद,रोहतास ,भोजपुर ,बक्सर ,नालंदा,पटना,सीवान,गोपालगंज ,मोतिहारी,भागलपुर , सीतामढ़ी जिलों से आये,उपेन्द्र कुशवाहा के पार्टी रालोसपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं ने अपनी एकजुटता का परिचय दिया ।सोमवार को स्पष्ट निर्णय हो जायेगा की कुशवाहा समाज़ नितीश और तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करेगा या अपनी पार्टी रालोसपा के चुनाव चिन्ह पंखा छाप पर एक बार फिर बिहार के राजनीत में दमखम दिखायेग ।वही जेडीयू की तरफ़ से कहाँ गया की ये जेडीयू की अधिकारिक बैठक नहीं थी । देखा जाये तो बिहार की राजनीत में सत्ता पक्ष के ही लोग नितीश कुमार और तेजस्वी के कार्य प्रणाली से नाराज नेताओं की एक अहम बैठक है ।बिहार के सत्ता में कायम पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ही जब अपने शीर्ष नेता के कार्य प्रणाली से नाराज हो तो ये एक चिंता का विषय है और कही ना कही ये एक संकेत जाता है की जेडीयू में कुछ ठीक नहीं है।
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